केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश ने हरियाणा सरकार का बचाव किया, कहा- किसान आंदोलन से हालात के हिसाब से निपटी
केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश ने पंजाब और हरियाणा सरकारों के बीच किसानों आंदोलन पर छिउ़े जुबानी जंग में हरियाणा सरकार का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा सरकार ने हालात के अनुसार अपने कदम उठाए।
होशियारपुर, जेएनएन। केंद्रीय राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने किसानों आंदोलन को लेकर हरियाणा सरकार का बचाव किया है। बता दें कि हरियाणा और पंजाब की सरकारों के बीच जुबानी जंग चल रही है। वैसे सोम प्रकाश इस मामले में स्पष्ट तौर पर बोलने से बचते नजर आए। उन्होंने किसानों के खिलाफ कोई शब्द नहीं बोला। उन्होेंने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ हालात के हिसाब से डील किया, क्योंकि सरकार का काम हालात के हिसाब से काम लेना होता है।
यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून को लेकर पैदा हुई गलतफहमी दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत की थी, लेकिन बाद में न जाने क्यों किसान फिर से इसके खिलाफ अड़ गए। सोम प्रकाश ने कहा कि ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार किसानों के बातचीत नहीं करना चाहती। सरकार तो हर वक्त किसानों से बात करने के लिए तैयार है। किसान ही बात करने के लिए प्लेटफार्म पर नहीं आते।
सोम प्रकाश पूरी प्रेस कांफ्रेंस पर किसानों के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर संभलकर जवाब देते रहे। हर सवाल पर वह यही कहते रहे कि जल्द ही कृषि सुधार कानून को लेकर चल रहा किसानों का मसला भी सरकार सुलझा लेगी। इस मौके पर भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश राय खन्ना, पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद, भाजपा के जिला प्रधान निपुण शर्मा, पूर्व मेयर शिव सूद व धर्मपाल सभ्रवाल भी मौजूद थे।
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किसानों का बातचीत के निमंत्रण को टालना दुर्भाग्यपूर्ण : अश्वनी शर्मा
भाजपा के पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा किसान नेताओं को बातचीत के लिए दिए गए निमंत्रण को खारिज किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को हो रही कठिनाइयों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने उन वार्ताओं को फिर से जारी करने की पेशकश की थी, जो पहले 3 दिसंबर को होने वाली थीं।
उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि केंद्र सरकार को किसानों की ङ्क्षचता है और उनके मुद्दों को हल करने की वचनबद्धता है। दुर्भाग्य से किसान नेताओं ने केंद्र के इस प्रस्ताव को टाल दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि किसान नेता अपने इस फैसले की दोबारा समीक्षा करेंगे और बातचीत के लिए टेबल पर आने के लिए अपनी सहमति देंगे।