नाका लगा रिफ्लेक्टर लगाने के वसूल रहे थे दो-दो सौ रुपये, पहले बोले-परमिशन है, बाद में कहा-जाने दो, सेवा दस्सो..
वीरवार को होशियारपुर-हिमाचल सीमा पर मंगोवाल के पास लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने की आड़ में गाड़ियों पर रिफ्लेक्टर लगाकर उनसे दो-दो सौ रुपये वसूले जा रहे थे।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर: वीरवार को होशियारपुर-हिमाचल सीमा पर मंगोवाल के पास लोगों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने की आड़ में गाड़ियों पर रिफ्लेक्टर लगाकर उनसे दो-दो सौ रुपये वसूले जा रहे थे। पुलिस का रौब देखकर वाहन चालक जेबें ढीली करने पर विवश थे। नाके पर पुलिस मुलाजिमों के साथ सेफ लाइफ ऑफ इंडिया एनजीओ के सदस्य भी मौजूद थे।
कुछ लोगों ने तो पैसे दे दिए और पुलिस के प्रभाव के चलते कोई सवाल नहीं पूछा, परंतु जिन्होंने कोई सवाल किया उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि यह सरकारी है इसलिए पुलिस भी उनके साथ तैनात है। ऐसा जवाब मिलने पर सवाल पूछने वाले भी चुप रहे। धीरे-धीरे सारा मामला चर्चाओं में पहुंच गया। नाके का पता लगते ही जब दैनिक जागरण की टीम मौके पर पहुंची तो रिफ्लेक्टर लगाने वाली एनजीओ के सदस्यों व पुलिस मुलाजिमों के पास कोई जवाब नहीं था। प्रशासन की मुहिम के नाम पर लिए जा रहे दो सौ रुपये का जवाब उनके पास था ही नहीं।
हालांकि पहले एनजीओ के सदस्यों व पुलिस मुलाजिमों ने यह कहकर टालने की कोशिश की कि उनके पास बकायदा डीसी की परमिशन है पर जब उन्हें परमिशन दिखाने के लिए कहा गया तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। सूत्रों की मानें तो दो-दो सौ के हिसाब से जो पैसे लिए जा रहे थे, वह बाद में पुलिस और एनजीओ में बांटे जाने थे।
मामला बिगड़ा तो पुलिस मुलाजिम झाड़ने लगे पल्ला
मुलाजिमों को जब इस बात का एहसास होने लगा कि मामला बिगड़ रहा है तो मौका पाते ही पुलिस मुलाजिम तो मामले से पल्ला झाड़ गए और कहने लगे कि हम इनके साथ नहीं हैं। यह नाका तो पक्के तौर पर ही यहां पर लगता है। आज सुबह यह एनजीओ वाले उनके पास आए थे कहने लगे की वह प्रशासन की छेड़ी मुहिम सड़क सुरक्षा के तहत यहां पर आए हैं और पूरे पंजाब में मुहिम चल रही है जिसके चलते गाड़ियों पर रिफ्लेक्टर लगाए जा रहे हैं। पर जल्दी ही उनकी जुबान फिसल गई और कहने लगे की उन्हें तो ऑर्डर मिला है और वह उसकी तामील कर रहे हैं। उनका इसे कुछ लेना देना नहीं है। पहले कहा, परमिशन है बाद में कहा, जाने दो
दैनिक जागरण टीम ने जब एनजीओ के सदस्यों से बात की तो उन्होंने पहले फटाक से कह दिया कि उनके पास परमिशन है, रिफ्लेक्टर लगाने की। जब उन्हें परमिशन दिखाने के लिए कहा गया तो वह घबराकर पल्ला झाड़ने लगे। जब उनसे बार-बार परमिशन दिखाने के लिए कहा गया तो बाद में कहने लगे जाने दो..। रिफ्लेक्टर लगाने के लिए जाने वाले दो सौ रुपये के बारे में पूछा तो बोले अभी तो केवल 10 गाड़ियों को ही रिफ्लेक्टर लगाए हैं। इस दौरान एनजीओ के एक सीनियर सदस्य का फोन आ गया और वह फोन पर गोल मोल बात करते हुए सेटिग पर उतर आया और कहने लगा तुसी सेवा दस्सो..।
डीएसपी सिटी जगदीश अत्री के नाम पर उठा सवाल
मौके पर एक मुलाजिम ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह नाका डीएसपी सिटी जगदीश अत्री के कहने पर लगाया गया है। चूंकि नाके पर पुलिस मुलाजिम मौजूद थे, इसलिए लोग पुलिस का नाका देखकर रुक रहे थे और पुलिस के प्रभाव के चलते एनजीओ के सदस्य लोगों से दो-दो सौ रुपये प्रति रिफ्लेक्टर के हिसाब से ले रहे थे। इससे लगता है कि दाल में कुछ काला है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके कि इस लूटबाजारी में कौन-कौन शामिल है।
जांच करूंगा, मेरे कहने पर नहीं लगा कोई नाका : डीएसपी
डीएसपी सिटी जगदीश ने बताया कि उन्हें बस इतना पता है कि पिछले दिनों एक मीटिग में यातायात जागरूकता के चलते मुहिम चलाई जाने की बात की गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि मेरे कहने पर कोई नाका नहीं लगाया गया है न ही उन्होंने कोई मुलाजिम भेजे। उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच करेंगे। यदि फिर भी कोई जागरूकता मुहिम चलाई जाती है तो उसमें लोगों से पैसे लेना गलत है। यह तो सरासर धोखाधड़ी है।
प्रशासन के नाम पर पिछले कई दिनों से चल रहा था गोरखधंधा
इस एनजीओ के सदस्य प्रशासन के नाम पर पिछले कई दिनों से जिला में अलग-अलग इलाकों में इसी तरह नाकों की आड़ में इस गोरखधंधे में जुटे हुए हैं। रिफलैक्टर लगाने के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं। जबकि कानूनन जब भी प्रशासन ऐसी मुहिम चलाता है जिसमें लोगों को जागरूक किया जाता है वह चेरिटी पर बकायदा प्रशासन की मदद से चलता है और इसके लिए लोगों से पैसे नहीं वसूल किए जाते। इसी तरह रिफ्लेक्टर लगाने के लिए कई लोकल संस्थाएं हर साल धुंध के दिनों में मुहिम चलाती हैं और रिफलैक्टर लगाने के लिए कोई चार्ज नहीं किया जाता। जबकि इस एनजीओ द्वारा प्रशासन के नाम पर लोगों से दो सौ रुपये लिए जा रहे हैं।