नई तकनीकों से बांझपन के इलाज की सफलता दर बढ़ी : डॉ. सुमिता
डॉ. सुमिता सोफ्त ने श्री गंगानगर ऑबस्टेट्रिक एंड गायना कोलॉजिकल सोसायटी की ओर से आयोजित सीएमई में लेक्चर दिया।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : रोज गार्डन के नजदीक स्थित सोफ्त इनिफर्टिलटी एंड विमन केयर सेंटर की इनिफर्टिलटी विशेषज्ञ डॉ. सुमिता सोफ्त ने श्री गंगानगर ऑबस्टेट्रिक एंड गायना कोलॉजिकल सोसायटी की ओर से आयोजित सीएमई में लेक्चर दिया।
मुख्य बक्ता डॉ. सोफ्त ने डॉक्टर्स को बांझपन से पीड़ित जोड़ों के इलाज के लिए उचित प्रशिक्षण देने के तरीके बताए। इसमें डॉ सुमिता सोफ्त ने बताया कि किस तरह से ईक्सी (इंट्रासाइटोप्लाजमिक स्पर्म इंजेक्शन) व आईवीएफ (इनवेंट्रो फर्टिलाइजेशन) के इलाज की सफलता दर बढ़ाई जा सकती है।
इस मौके डॉ. सुमिता सोफ्त ने कहा कि सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि बांझपन के पचास फीसदी केसों में पुरुष भी वजह होते हैं, लेकिन शुरुआती दौर में पुरुष यह मानने को तैयार ही नहीं होते हैं और अमूमन ट्रीटमेंट के लिए पत्नी को आगे कर देते हैं। हालांकि जब पत्नी की मेडिकल जांच के दौरान पता चलता है कि उसमें कोई भी नुक्स नहीं है, तो पति जांच के लिए राजी होता है। तब पता चलता है कि उसके स्पर्म में शुक्राणुओं की संख्या बेहद कम या निल है। उन्होंने कहा कि पुरुषों के स्पर्म में शुक्राणुओं की संख्या 30 मिलीयन होनी चाहिए, लेकिन बांझपन से पीड़ित दस जोड़ों की जांच के दौरान उनमें से पांच पुरुषों के स्पर्म काउंट कम होते हैं। कई बार स्पर्म काउंट पूरे होते हैं, लेकिन उनमें लाइव स्पर्म पर्याप्त नहीं होते हैं। कई बार लाइव स्पर्म में महिला के अंडे को भ्रूण बनाने की क्षमता नहीं होती है। मेडिकल साइंस में नई तकनीकों की बदौलत अब बांझपन के इलाज की सफलता दर बहुत अधिक बढ़ गई है। इसलिए जो जोड़े मायूस होकर घर बैठ गए हैं, उन्हें भी इलाज के लिए आगे आकर नई तकनीकों का फायदा उठाना चाहिए।
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