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हर बार चुनावी मुद्दा बनता है जंगली पशुओं से फसलों को बचाने की मांग

किसानों को अपने खेतों में बोई फसलों को जंगली जानवरों व लावारिस गायों से बचाने के लिए कंपकंपाती सर्द रातें व दिन खेतों में मचान बनाकर काटनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 06:44 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 06:44 PM (IST)
हर बार चुनावी मुद्दा बनता है जंगली पशुओं से फसलों को बचाने की मांग
हर बार चुनावी मुद्दा बनता है जंगली पशुओं से फसलों को बचाने की मांग

रामपाल भारद्वाज, गढ़शंकर

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जिले के दर्जनों पहाड़ी व कंडी इलाकों के गांवों के किसानों को अपने खेतों में बोई फसलों को जंगली जानवरों व लावारिस गायों से बचाने के लिए कंपकंपाती सर्द रातें व दिन खेतों में मचान बनाकर काटनी पड़ रही है। किसानों के इस प्रयास के बावजूद आधी से ज्यादा फसल फिर भी जंगली जानवर बर्बाद कर देते हैं।

जंगली जानवरों व लावारिस पशुओं से किसानों की फसलों को बचाने के लिए चुनावों के समय सभी दलों के नेता बढ़चढ़ कर वादे करते हैं पर चुनाव संपन्न होते ही वह अपने वायदों को भूल जाते हैं।

लोकसभा चुनाव में होशियारपुर से भाजपा सांसद व केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश व आनंदपुर साहिब से कांग्रेसी सांसद मनीष तिवारी ने चुनाव के दौरान किसानों को आश्वासन दिया था कि सत्ता में आने पर शतप्रतिशत सब्सिडी वाली कंटीली तार मुहैया कराई जाएगी व वह किसानों की समस्या का समाधान पहल के आधार पर करेंगे पर चुनाव के वाद अभी तक किसान अपनी समस्याओं का समाधान न होने के कारण अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। गढ़शंकर में तीन सौ किसानों ने सब्सिडी वाली कंटीली तार लेने के लिए आवेदन किया हुआ। सरकार ने सब्सिडी वाली तार लेने के लिए रखी शर्तों को पूरा करना ज्यादातर किसानों के लिए संभव नहीं है। जिसके चलते उन्हें अपनी जेब से कंटीली तार खरीदनी पड़ती है। बीत व कंडी इलाके में पड़ते गांवों के किसानों के खेतों में सूअर व नील गाय, बंदरों व अन्य जंगली जानवरों के साथ साथ लोगों की तरफ से छोड़े गए दूध देने से नकारा पशु से अपनी फसलों को उजड़ने से बचाने के लिए सर्दी में कंपकंपाती रातें व दिन खेतों में रहना पड़ रहा है। इसके लिए उन्होंने खेतों में मचान बनाए हुए हैं इसके बावजूद जानवर फसल उजाड़ रहे है। किसानों का कहना है कि पकने के बाद आधी अधूरी फसल ही उनके पल्ले पड़ती है। किसानों का कहना है कि खेतों में वन विभाग से कंटीली तार लगाने के लिए सब्सिडी लेने के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि पहले खुद तार खरीद कर लगानी पड़ती है उसके बाद ़फाइल तैयार कर विभाग को देने के बाद विभाग के कर्मचारी आकर चेक करते हैं उसके बाद सब्सिडी की राशि किसान को मिलती है।

विभाग दे रहा है, कंटीली तार पर सब्सिडी: रेंज अधिकारी

इस संबंध में वन विभाग गढ़शंकर के रेंज अधिकारी रामपाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग के पास तीन सौ किसानों की एप्लिकेशन आई थी, जिसमें से 70 किसानों को सब्सिडी उपलब्ध करा दी गई है।


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