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कंडी नहर बंद होने से सौर सिचाई योजना ठप

कंडी नहर से पानी को लिफ्ट करके देपुर दमवाल करोड़ा बडाला घगवाल जुगियाल और सवार समेत 14 गांवों की 1500 हेक्टेयर जमीन में सिचाई के लिए पानी मुहैया कराने वाली सोलर लिफ्ट सिचाई योजना 17 अप्रैल से बंद है। मध्य जून तक शुरू होने की संभावना है। इस बारे में कंडी नहर के एसडीओ लवप्रीत सिंह ने कहा 10 जून तक मरम्मत का काम पूरा होगा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 05:17 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 05:43 AM (IST)
कंडी नहर बंद होने से सौर सिचाई योजना ठप
कंडी नहर बंद होने से सौर सिचाई योजना ठप

संस, दातारपुर : कंडी नहर से पानी को लिफ्ट करके देपुर, दमवाल, करोड़ा, बडाला, घगवाल, जुगियाल और सवार समेत 14 गांवों की 1500 हेक्टेयर जमीन में सिचाई के लिए पानी मुहैया कराने वाली सोलर लिफ्ट सिचाई योजना 17 अप्रैल से बंद है। मध्य जून तक शुरू होने की संभावना है। इस बारे में कंडी नहर के एसडीओ लवप्रीत सिंह ने कहा, 10 जून तक मरम्मत का काम पूरा होगा। इसके बाद नहर में पानी छोड़ दिया जाएगा।

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वहीं भूमि विकास विभाग के एसडीओ राजेश शर्मा ने बताया, पानी की उपलब्धता तो कंडी नहर पर ही निर्भर है। जब तक नहर की मरम्मत पूरी नहीं हो जाती तब तक यह समस्या रहेगी। योजना पर चालीस करोड़ व्यय किए गए हैं। सौर ऊर्जा से संचालित योजना के लिए सैकड़ों बड़े बड़े सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो लगभग एक हजार एक सौ किलोवाट बिजली उत्पादन कर रहे हैं और इसी सौर ऊर्जा से मोटरों का संचालन कर नहर से पानी ऊंचाई वाले इलाकों में पहुंचाया गया है। यह पानी किसानों को सिचाई की स्प्रिंकलर यानि फव्वारा पद्धति व ड्रिप इरीगेशन यानि बूंद बूंद से उपलब्ध करवाया गया है। ऐसा करने से पानी की बर्बादी नहीं होती। राजेश शर्मा ने बताया कि इन गांवों में 18 कमेटियों का गठन किया गया है जो सारी प्रक्रिया को पूरा करती हैं। जैन इरीगेशन के साथ सात साल तक योजना की मेंटीनेंस का करार किया गया है। योजना के चलते क्षेत्र के किसान अब बंजर जमीन से भी कनक, सरसों, चने और सब्जियों की काश्त कर रहे हैं।

किसान बोले, योजना का छह महीने ही मिलता फायदा

किसान कृष्ण कुमार, कैप्टन मुख्त्यार सिंह, विनोद कुमार, मंगत राम, सुरजीत सिंह, करनैल सिंह, दलजीत सिंह का कहना है कि योजना के चालू होने पर फायदा तो हुआ है, परंतु नहर के पानी का लाभ पूरे साल में से छह महीने ही मिलता है क्योंकि कभी यह टूट जाती है, कभी इसमें रिसाव होने लगता है या फिर मरम्मत के लिए बंद किया जाता है। इससे फसलों को सिचाई के लिए पानी नहीं मिलता जिसके कारण आर्थिक नुकसान व मानसिक परेशानी होती है। किसानों ने बताया कि विगत साल भी नहर अगस्त में दातारपुर में टूट गई थी, फिर तीन महीने बंद रही।


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