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श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है शिवबाड़ी मंदिर

शिवबाड़ी मंदिर यानी शिव का आंगन लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 07:05 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 05:14 AM (IST)
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है शिवबाड़ी मंदिर
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है शिवबाड़ी मंदिर

सतीश कुमार, होशियारपुर : शिवबाड़ी मंदिर यानी शिव का आंगन लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। होशियारपुर से मात्र 20 किलोमीटर दूर गगरेट में स्थापित मंदिर में आसपास के साथ पंजाब व उत्तर भारत कोने कोने से लोग नतमस्तक होते हैं। सावन में अब मेले जैसा माहौल है। गगरेट में स्थापित द्रौण शिव मंदिर में पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।

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मंदिर का इतिहास

कहा जाता है कि कभी यह स्थान पांडवों के गुरु महर्षि द्रौणाचार्य का होता था। गुरु द्रौणाचार्य प्रतिदिन स्वां नदी में स्नान करके संध्या पाठ करते थे। उनकी एक कन्या यज्पाति थी। हर रोज घर से आलोप होते देख एक दिन वह पिता से हठ करने लगी कि मैं भी साथ चलूंगी। इसके लिए गुरु द्रौणाचार्य ने पुत्री को घर पर ही शिव जी का बीज मंत्र ओम नम: शिवाय का जप करने के लिए कहा। यज्पति इकाग्र होकर पूरे विश्वास से प्रतिदिन पाठ करने लगी। कुछ दिन बाद भक्ति से प्रसन्न हुए भगवान शिव यज्यति के साथ बाल लीला करने लगे। इस पर यज्यति ने पिता से कहा कि यहां पर जटाधारी बालक आता है और खेल कर चला जाता है। अगले दिन गुरु दौणाचार्य यह देखकर हैरान हो गए कि भगवान शिवजी महाराज बालक रूप धारण कर यज्यति के साथ खेल रहे हैं। उस दौरान गुरु द्रौणचार्य ने कहा कि यह कैसी लीला है तो भगवान शिव बोले, बच्ची ने हमें सच्चे मन से याद किया और हमें मजबूर होकर आना ही पड़ा। इसके बाद यज्यति ने कहा कि पिता जी हर दिन आपके पास जाते हैं और हमें अकेला घर छोड़ जाते हैं और अब उनको जाने नहीं देगी तो भगवान शिव प्रसन्न होकर कहने लगे कि वह वर्ष में एक दिन यहां पर जरूर आएंगे। उसी दिन पिडी की स्थापना की और कहा कि वह इस पिंडी में ही विराजमान रहेंगे।

भोलेनाथ को पाने के लिए पिडी के पास समाधि में जम गए महात्मा

पिंडी के पास जितनी भी समाधियां हैं वह उन महात्माओं की है जिन्होंने भगवान शिव के दर्शन करने को लगातार तप किया और अंत में समाधि में ही लीन हो गए। इस प्रकार जो भी मनुष्य भगवान शिव को श्रद्धा के फूल अर्पण कर भक्ति करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। भगवान शिव को श्रावण मास में बेल पत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे सारे कष्ट दूर होते हैं। सोमवार को शिवजी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।


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