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शीतला अष्टमी स्वयं में स्वास्थ्य व स्वच्छता का संदेश: जिदा बाबा

शीतलाष्टमी पर महिलाएं बच्चों की तंदुरुस्ती आरोग्यता व घर में सुख-शांति के लिए मां शीतला की पूजा करती हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 04:31 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 04:59 AM (IST)
शीतला अष्टमी स्वयं में स्वास्थ्य व स्वच्छता का संदेश: जिदा बाबा
शीतला अष्टमी स्वयं में स्वास्थ्य व स्वच्छता का संदेश: जिदा बाबा

संवाद सहयोगी, दातारपुर : शीतलाष्टमी पर महिलाएं बच्चों की तंदुरुस्ती, आरोग्यता व घर में सुख-शांति के लिए मां शीतला की पूजा करती हैं। गांव दलवाली के दुर्गा माता मंदिर के अध्यक्ष आध्यात्मिक विभूति राजिद्र सिंह जिदा बाबा ने धर्म चर्चा करते हुए कहा, बसौड़ा बासा भोजन में मीठे चावल, कढ़ी, चने की दाल, हलवा, रबड़ी, बिना नमक की पूड़ी, पूड़े आदि एक दिन पहले ही रात्रि में बनाकर रख लिए जाते हैं। सुबह घर व मंदिर में माता की पूजा-अर्चना कर महिलाएं शीतला माता को बसौड़ा का प्रसाद चढ़ाती हैं, फिर प्रसाद परिवारों में बांट कर सभी के साथ मिलजुल कर बासी भोजन ग्रहण करके माता का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। व्रत में मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात एक दिन पहले ही बनाए जाते हैं अर्थात व्रत के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता।

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जिदा बाबा के अनुसार व्रत रखने वाले रसोईघर की दीवार पर पांच अंगुली घी में डुबोकर छापा लगाते हैं। इस पर रोली, चावल चढ़ाकर मां के गीत गाए जाते हैं। इस दिन शीतला स्त्रोत व शीतला माता की कथा भी सुननी चाहिए। रात्रि में दीपक जलाकर थाली में भात, रोटी, दही, चीनी, जल, रोली, चावल, मूंग, हल्दी, मोठ, बाजरा रखकर मंदिर में चढ़ाना चाहिए। इसके बाद मोठ, बाजरा का बयाना निकाल कर उस पर रुपया रखकर अपनी सास के चरण स्पर्श कर उन्हें देना चाहिए। इसके साथ किसी वृद्धा को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए। जिंदा बाबा ने बताया, शीतला अष्टमी स्वयं में स्वास्थ्य और स्वच्छता के कई संदेश समेटे हुए है। मां शीतला के हाथों में झाड़ू का होना और नीम को उनका निवास स्थान मानना यह बताता है कि जीवन में स्वच्छता का कितना महत्व है और संक्रामक रोगों में क्या उपयोगिता है क्योंकि नीम से ज्यादा लाभदायक और खून को साफ व कई रोगों को समाप्त करने वाला कोई और पेड़ नहीं है और मां के हाथ में झाड़ू होना सफाई के महत्व को प्रतिपादित करता है।


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