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शिअद ने भाजपा की 'विरासत' बसपा को सौंपी

भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद अकाली दल बादल ने हाथी (बसपा) से हाथ मिलाया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 07:00 AM (IST)
शिअद ने भाजपा की 'विरासत' बसपा को सौंपी
शिअद ने भाजपा की 'विरासत' बसपा को सौंपी

हजारी लाल, होशियारपुर

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भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद अकाली दल बादल ने हाथी (बसपा) से हाथ मिलाया है। समझौते के तहत अकाली दल ने बसपा को होशियारपुर, टांडा और दसूहा विधानसभा क्षेत्र हाथी के हवाले कर दिया है। हाथी के कोटे में आई तीन सीटों में से पहले दो सीटें होशियारपुर और दसूहा भाजपा की पास थीं। तीसरी उड़मुड़ (टांडा) अकाली दल बादल के पास थी, लेकिन इस सीट पर अकाली दल तीन बार लगातार हार का सामना कर चुका है।

गठबंधन का समीकरण देखने पर आभास होता है कि अकाली दल ने बसपा को वही सीटें देने को तवज्जो दी है, जो भाजपा के पास थी। ऐसा करके अकाली दल एक तीर से दो निशाना साधा है। एक तो अकालियों को नाराज नहीं किया। दूसरा, भाजपा के साथ गठबंधन में जो विरासत भाजपा संभालती थी, अब उसे बसपा संभालेगी। सन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अकाली-बसपा गठबंधन ने नए राजनीतिक समीकरण पैदा कर दिए हैं।

बता दें कि अकाली-भाजपा गठबंधन के वक्त होशियारपुर में भाजपा के कोटे में होशियारपुर, दसूहा और मुकेरियां ही सीट थी। बाकी सीटों चब्बेवाल, गढ़शंकर, शामचौरासी, उड़मुड़ से अकाली दल लड़ता था।

बसपा के साथ गठबंधन करके अकाली दल ने अपनी राजनीतिक जमीन के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की है। क्योंकि होशियारपुर में भाजपा कोटे से तीक्ष्ण सूद चुनाव लड़ते थे। दसूहा से भाजपा की सुखप्रीत कौर साही चुनाव लड़ती थीं। हां, उड़मुड़ सीट पर अकाली दल ने बसपा को देकर भाजपा कोटे वाली मुकेरियां सीट अपने पास रख ली है। इसका अहम कारण माना जा रहा है कि उड़मुड़ से तीन बार अकाली दल हार चुका है। इसलिए इस सीट को बसपा के खाते में डाल दी। मुकेरियां सीट को इसलिए अपने पास रखा क्योंकि वह पर अकाली दल खुद को ज्यादा मजबूत महसूस कर रहा है। ठंडल और जोश की बची राजनीतिक जमीन

अकाली दल से बसपा के साथ गठबंधन की चर्चा छिड़ने से राजनीतिक पंडित गणित लगा रहे थे कि ऐसी नौबत आने पर बसपा शामचौरासी और चब्बेवाल विधानसभा सीट पर मांगेगी। क्योंकि यह दोनों सीटें सुरक्षित भी हैं। यानि कि इन दोनों पर दलितों का वोट बैंक है। गठबंधन में यह दोनों सीटें बसपा के कोटे में जाने पर चब्बेवाल से वरिष्ठ अकाली नेता सोहन सिंह ठंडल और शामचौरासी से वरिष्ठ अकाली नेत्री महिदर कौर जोश की राजनीतिक जमीन नहीं बचेंगी। ऐसा होने पर अकाली दल में विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है। मगर, अकाली हाईकमान ने ऐसा फार्मूला निकाला कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी।

पिछले विधानसभा चुनाव में नहीं दौड़ पाया था हाथी

पिछले विधानसभा चुनाव में हाथी (बसपा) नहीं दौड़ पाया था। उसकी रफ्तार सुस्त ही थी। शामचौरासी और चब्बेवाल में बसपा का हाथी पचास हजार से ज्यादा वोट लेने में कामयाब हुआ था। बाकी विधानसभा सीटों पर हाथी पांच हजार का भी आंकड़ा नहीं छू पाया था। अब देखना है कि तिकड़ी पर सवार होकर हाथी तेज से दौड़ पाता है या फिर उसकी रफ्तार सुस्त ही रहती है। विधानसभा चुनाव 2017 के चुनाव में किस दल को मिले थे कितने मत

विधानसभा क्षेत्र मुकेरियां

भाजपा-अकाली 33661.

कांग्रेस 56787.

बसपा 2718

आप 17005

-

विधानसभा क्षेत्र दसूहा

कांग्रेस 56527

भाजपा-अकाली 38889

बसपा 3180

आप 16330

-

विधानसभा क्षेत्र टांडा उड़मुड़

कांग्रेस 51477

अकाली-भाजपा 36523

बसपा 1720

आप 32445

--

विधानसभा क्षेत्र शामचौरासी

कांग्रेस 46612

अकाली-भाजपा 24671

बसपा 8009

आप 42797

-

विधानसभा क्षेत्र होशियारपुर

कांग्रेस 49951

भाजपा-अकाली 38718

बसपा 4442

आप 27481

-

विधानसभा क्षेत्र चब्बेवाल

कांग्रेस 57857

अकाली-भाजपा 28596

बसपा 5585

आप 20505

-

विधानसभा क्षेत्र गढ़शंकर

कांग्रेस 31909

अकाली-भाजपा 40070

बसपा 6031

आप 41720


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