यह जीवन भक्ति के लिए मिला है : सुदीक्षा जी
सत्संग एक ऐसा साधन है जिससे भक्ति में मन जुड़ता है।
जेएनएन, होशियारपुर: सत्संग एक ऐसा साधन है, जिससे भक्ति में मन जुड़ता है। ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के बाद गलतियों से भरा मन अपनी गलतियों को बख्शाता है। यह विचार इटावा, उत्तर प्रदेश में हुए एक विशाल संत समागत दौरान निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा जब ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हो जाती है तो हमारा नाता हर तरफ विराजमान एक निरंकार प्रभु के साथ जुड़ जाता है।
हमारा चरित्र ऐसा होना चाहिए कि कर्मों से बयान हो। हमें कभी भी दूसरों प्रति हीन भावना नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि अभी जिदगी की बेड़ी जो है, वह दुनिया के इस समुद्र में है, पता नहीं कौन से समय पर क्या हो जाए। हमेशा निरंकार प्रभु का शुकराना करते हुए अपने परिवार, समाज और दूसरी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने फरमाया कि यह जीवन भक्ति के लिए ही मिला है।