हम नहीं जलाएंगे पराली, हरियाली की बांटेंगे खुशहाली
दैनिक जागरण द्वारा किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करने के लिए चलाई मुहिम के तहत गांव पंचनंगला में किसानों से बैठक की।
संवाद सहयोगी, माहिलपुर : दैनिक जागरण द्वारा किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करने के लिए चलाई मुहिम के तहत गांव पंचनंगला में किसानों से बैठक की। इसकी अगुवाई समाजसेवी संजीव पंचनंगला ने की। इसमें मुख्त तौर पर वातावरण की शुद्धता में आ रही गिरावट पर विचार विमर्श किया और वातावरण को संभाल कर रखने की अपील की। संबोधित करते हुए संजीव पंचनंगला ने कहा कि कुदरत ने इंसान को शुद्ध माहौल दिया है। जल, वायु, धरती, आकाश यह कुदरत की देन हैं, लेकिन इंसान स्वार्थ व निजी लाभ के लिए कुदरत को नुकसान पहुंचा रहा है जिसकी एक उदाहरण किसानों द्वारा धान की जलाई जाने वाली पराली है। किसान काम निपटाने के चक्कर में पराली को आग लगाता है जो सीधे सीधे वातावरण के लिए हानिकारक है। पंचनंगला ने बताया कि पराली को जलाने से वातावरण में फैल रही जहरीली गैसें गंभीर बीमारियों का कारण बन रही हैं। मौके पर किसानों ने पराली को न जलाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर संजीव पचनंगल ने बताया कि सरकार द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए उठाए कदमों को मजबूत करने के लिए फैसला लिया है। इसमें किसानों ने पूरी सहमति जताई है। इस दौरान किसानों ने धान की पराली को आग न लगाने का संकल्प लेते हुए शपथ उठाई है कि वह कभी भी पराली को आग नहीं लगाएंगे। वहीं मास्टर बलवीर सिंह ने बताया कि उनके गांव में सभी किसान पराली को आग न लगाकर सरकार के फैसले का सम्मान करेंगे। इस अवसर पर बलराज सिंह, गुरदीप सिंह, गुरनाम सिंह, कश्मीर सिंह, महिदर सिंह, चैन सिंह, जरनैल सिंह, कर्मचंद, सिकंदर पाल, राम लाल, सतनाम सिंह व तरुण अरोड़ा सहित किसान उपस्थित रहे।
भविष्य करना है सुरक्षित तो पराली जलाने से करें तौबा मास्टर बलवीर सिंह ने बताया कि हम अपने काम को आसान बनाने के लिए पराली को आग लगा देते हैं, क्या कभी यह सोचा है कि पराली को खेतों में ही मिलाने का क्या लाभ है। भूमि की उपजाऊ शक्ति पर क्या असर पड़ता है। कितनी पैदावार बढ़ती है और हमारे मित्र कीड़े पनपते हैं तो फसलों के लिए वह कितने लाभदायक है। हमें इस पर विचार करना चाहिए। यदि हम पराली न जलाकर खेतों में समाप्त कर अगली फसल बोते हैं तो उससे एक तो मित्र कीड़े खेतों में फलते फूलते हैं जो लाभदायक होते हैं, दूसरा पराली न जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। सभी को संकल्प करना होगा कि पराली जलाने से तौबा करें। हमारा भविष्य तब ही सुरक्षित हो सकता है जब हम सजग होंगे।