पौंग बांध में अब तक घटा 23 फीट जलस्तर
पवित्र ब्यास नदी पर बनाए गए और एशिया के मिट्टी की दीवार से बने सबसे बड़े बांध पौंग बांध में इस वर्ष आगामी जलभराव सीजन जो 20 जून 201
संवाद सूत्र, दातारपुर : ब्यास नदी पर बनाए गए पौंग बांध में जलभराव सीजन 20 जून 2018 से शुरू हुआ था। अभी भी भरपूर जल उपलब्ध है, जिसके कारण सारा साल बिजली उत्पादन और ¨सचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है। आंकड़ों की बात करें तो इस वर्ष बांध में जलभराव सीजन समाप्त होने के समय 1392.23 फीट जलभराव हुआ था। 16 दिसंबर को बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में सुबह आठ बजे 1369.74 फीट जलस्तर रिकार्ड किया गया। इस समय बांध में मात्र 1991 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है और बांध के बिजलीघर की टर्बाइनों के माध्यम से 13538 क्यूसिक पानी का डिस्चार्ज हो रहा है।
इस प्रकार बांध में 1392-1369- 23 फीट पानी कम हुआ है। इसके बावजूद बांध में पूरे साल की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त जलस्तर उपलब्ध है।
पौंग बांध के पानी से हिमाचल, पंजाब, हरियाणा तथा मुख्य तौर पर राजस्थान को ¨सचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाता है। यह झील अधिकतम 40 किमी लंबी तथा अधिकतम 18 किमी चौड़ी है और इसका क्षेत्रफल 306 वर्ग किलो मीटर है। पौंग बांध की डेड स्टोरेज क्षमता 1265फीट है इसे आम तौर पर 1390 फीट तक भरा जाता है। परन्तु इस बार बंध के जलग्रहण क्षेत्र में हुई मानसून की भारी बारिश के चलते इसे दो फुट अधिक जलभराव हुआ।
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वर्तमान में बांध की कुल तीन टर्बाइनें बिजली उत्पादन कर रही है। डिस्चार्ज के बाद 11500 क्यूसिक पानी मुकेरियां हाइडल नहर में जा रहा है। जहां के चार बिजलीघरों में जो की भोडे दाखूह, हाजीपुर, रैली तथा ऊंची बस्सी में हैं में कुल 207 मैगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है।
इस 13538 क्यूसिक पानी में से 11500 क्यूसिक पानी मुकेरियां हाईडल नहर में तथा बाकी बचा 2038 क्यूसिक पानी मूल ब्यास नदी में शाह नहर बैराज के गेटों द्वारा छोड़ा जा रहा है।
बांध की उंचाई 1410 फीट है, पर इसे ज्यादा से ज्यादा 1395 फीट तक ही भरा जाता है।
पौंग बांध के बिजलीघर में कुल 6 टर्बाइन कार्यरत हैं, जो प्रत्येक 66 मैगावाट की दर से कुल 396 मैगावाट बिजली उत्पादन करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते है।