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रंग ला रहा प्रयास, पराली जलाने के रुझान में कमी

जेएनएन होशियारपुर कृषि विभाग की ओर से जिले के किसानों को पराली न जलाने के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान ने जोर पकड़ लिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 04:05 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 04:05 PM (IST)
रंग ला रहा प्रयास, पराली जलाने के रुझान में कमी
रंग ला रहा प्रयास, पराली जलाने के रुझान में कमी

जेएनएन, होशियारपुर

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कृषि विभाग की ओर से जिले के किसानों को पराली न जलाने के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान ने जोर पकड़ लिया। पराली न जलाने के रुझानों में कमी देखने को मिल रही है। इसकी एक मिसाल ब्लाक दसूहा के गांव गग सुल्तान में देखने को मिली। गांव का किसान वरिदर सिंह पिछले कुछ वर्षों से धान की पराली को बिना आग लगाए गेहूं की बिजाई अलग-अलग कृषि मशीनरी जैसे कि एमबी प्लोअ व रोटावेटर से कर रहा है।

वरिदर सिंह ने इस वर्ष कृषि विभाग के सहयोग से सब्सिडी पर सुपर सीडर भी खरीद लिया है, ताकि धान के खड़े नाड़ में बिना आग लगाए गेहूं की बिजाई समय पर कर सके। अपनी इस आधुनिक व वातावरण हितैषी खेती के कारण यह किसान आसपास के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत बना हुआ है। वह करीब 20 वर्ष से खेती कर रहा है व 33 एकड़ जमीन में गेहूं धान व गन्ने की काश्त तकनीक से करता है। वरिदर सिंह पिछले कुछ वर्षों से धान व गन्ने के अवशेषों को आग लगाने की बजाए कृषि विभाग के सहयोग से पराली के अवशेषों के प्रबंधन के लिए सब्सिडी पर दिए गए उपकरणों के साथ गेहूं की बिजाई करता है। वह गन्ने की खोरी व पराली के अवशेषों को रोटावेटर व एमबी प्लोअ का प्रयोग कर जमीन में मिला देता है या फिर कटर मारकर गुज्जरों को उठवा देता है। इस विधि से गेहूं के बीज को उगने में कोई दिक्कत नहीं आती। जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ने के साथ-साथ लेबर व समय की बचत होती है व वातावरण भी गंदा होने से बचता है और नदीनों की समस्या भी कम होती है।


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