धान की रोपाई आज से, मजदूरों की कमी से किसान परेशान
सरकार द्वारा भूजल को बचाने की कवायद के मद्देनजर वीरवार तक कंडी इलाका के किसानों ने धान की फसल की रोपाई नही की।
सरोज बाला, दातारपुर
सरकार द्वारा भूजल को बचाने की कवायद के मद्देनजर वीरवार तक कंडी इलाका के किसानों ने धान की फसल की रोपाई नही की। सरकार तथा कृषि विभाग को पूरा सहयोग दिया है। अब आज से ही इलाका के किसानों ने धान की पनीरी को उखड़ कर तैयार किए हुए खेतों में लगाने का काम शुरु कर दिया है। अलबत्ता विभाग द्वारा भूजल स्तर को बचाने की कोशिश के चलते धान की पनीरी के खेतों में रोपाई की अवधि घटने से भी परेशानी है। क्योंकि अब किसान जल्दी से जल्दी धान लगाना चाहते हैं, पर लेबर की कमी से परेशानी होना लाजिमी है। हाजीपुर, धामियां, गेरा, नंगल बिहालन, घोगरा, खुन्दपुर आदि में देखने में आ रहा है की स्थानीय मजदूर तो अब खेती के काम से दूर हो रहे हैं और मात्र प्रवासी मजदूर ही किसानों का एकमात्र सहारा हैं। इस बात को प्रवासी भी भली भाँती जानते हैं नतीजतन उन्होंने भी नखरे करने शुरु किए हुए हैं। पहले एक एकड़ धान की रोपाई का 1500 रुपये लेते थे। अब 2500 रुपये लेते हैं साथ में दारु भी हो जाए तो अच्छा। नही तो उपलब्ध नही होते परेशानी यह भी है की अब बिहार, उत्तर प्रदेश आदि में भी मनरेगा आदि स्कीमों के चलन से इनका भी आना घटा है। नतीजतन इलाका के किसान रोजाना बस अड्डों अथवा मुकेरियां तथा दसूहा रेलवे स्टेशन जाते हैं और इनकी बाट जोहते हैं मिल जाएं तो किसान खुश होते हैं। न मिलें तो अगले दिन फिर वहीं खोज का सिलसिला।
प्रवासी मजदूर राधेश्याम, मुकेश, बिल्ला कामिनी तथा गुनना ने कहा इतनी दूर से आते हैं तो 2500 रुपये प्रति एकड़ तो बनता ही है। उन्होंने बताया अब उनके प्रदेश में भी कल्याण योजनाएं चल रही हैं। नतीजतन अब पंजाब आकर मजदूरी करने का रुझान घटा है। वहीं किसानों विनोद, जोगिन्द्र, भूपिदर सिंह, बलदेव सिंह का कहना है लोकल मजदूर तो अभी खेत में काम करते नही प्रवासी मजदूर भी कम आते हैं। जिससे दिक्कत आ रही है और मनमाने दाम भी उन्हें देने पड़ते हैं। कृषि विकास अधिकारी डॉ. अजर कंवर का कहना है की कंडी इलाका के लोगों ने सरकार को भरपूर साथ दिया है और 13 जून से पहले धान की रोपाई न करके भूजल को बचाने में मदद की है। जो सराहनीय है कुल मिलकर किसान अब धान की रोपाई में जुट गए हैं।
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