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न है सिंथैटिक ट्रैक, न रिहायशी कांप्लेक्स, न हैं पूरे कोच

समय समय की सरकारें प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के दावों तो कई करती हैं परंतु यह दावे केवल मंचों तक ही सिमट के रह जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 11:49 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 11:49 PM (IST)
न है सिंथैटिक ट्रैक, न रिहायशी कांप्लेक्स, न हैं पूरे कोच
न है सिंथैटिक ट्रैक, न रिहायशी कांप्लेक्स, न हैं पूरे कोच

फोटो नंबर-09, 10

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-खिलाड़ियों के लिए 8 के करीब कोचों की है कमी, बार-बार होती है डिमांड पर नहीं होता कोई हल

-सिंथैटिक ट्रैक व स्वीमिग पूल के लिए दिया एस्टीमेट किया सरकार ने रिजेक्ट, कैसे होगा खेलों का विस्तार

-रिहायशी कंप्लैक्स न होने के कारण दूर दराज के इलाकों से आने वाले खिलाड़ियों को होती है परेशानी

नीरज शर्मा, होशियारपुर

समय समय की सरकारें प्रदेश में खेलों को बढ़ावा देने के दावों तो कई करती हैं परंतु यह दावे केवल मंचों तक ही सिमट के रह जाते हैं। जमीनी हकीकत दावों से कोसों दूर है और जमीनी स्तर पर खेलों में मामले में होने वाली कमियों से आए दिन खिलाड़ी जूझते हैं। जिसकी ताजा मिसाल जिला के आउटडोर स्टेडियम को देखकर लगाई जा सकती है। जिला के मुख्य स्टेडियमों में शुमार शहर का आउटडोर स्टेडियम में खिलाड़ियों को कई कमियां खल रही हैं, स्टेडियम में न तो हाई क्वालिटी का ट्रेक है और नहीं कोई उच्च स्तरीय ग्राऊंड। बरसात के दिनों में तो लगभग खिलाड़ियों की प्रेक्टिस न के बराबर ही हो पाती है। एथलिट जो दूर दूर के गांवों से हर रोज प्रेक्टिस के लिए स्टेडियम में पहुंचते हैं उनकी गेम सबसे अधिक प्रभावित हैं। यह नहीं की इस संबंधी विभाग के अधिकारियों ने कभी सरकार को चेताया नहीं है हर मीटिग में ट्रेक व सरकारी स्तर पर स्वीमिग पूल बनाने की डिमांड की जाती है इसके लिए एस्टीमेंट भी बना कर दिया गया है परंतु जरुरी होने के बाद भी सरकार ने इसे रिजेक्ट कर दिया। यह नहीं की स्टेडियम में जगह की कमी है जगह होने बाद भी इन प्रौजैक्टों के लिए मना करना समझ से पर है।

जानकारी अनुसार स्टेडियम में एथलिटों के लिए संथेटिक ट्रेक की बहुत अधिक जरुरत हैं क्योंकि नेशनल व इंटरनेशनल मुकाबलों में खिलाड़ियों को संथेटिक ट्रेक पर दौड़ना होता है और वहां पर जाकर आम ग्राऊंट पर प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ी चूक जाते हैं और कभी कभी उनसे कम प्रतिभाशाली प्लेयर उन्हें मात दे जाते हैं। वहीं सरकारी तौर पर जिला में कोई बड़ा स्वीमिग पूल नहीं है जिसके कारण स्वीमिग करने वाले प्लेयरों को पूरी तरह से तैयारी करने का मौका नहीं मिल पाता। इन्हीं कमियों के चलते खिलाड़ियों को मजबूरन शहर के प्लायन करना पड़ता है। इसके लिए विभाग द्वारा एस्टीमेट बनाकर आला कमान को भेजा गया था परंतु वह रिजेक्ट कर दिया गया और अब केवल स्टेडिमय के पास मात्र एक इंडोर स्टेडियम का निर्माण करने को ही मंजूरी दी गई है जो शुरु हो चुका है।

इसके अलावा विभाग में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए कोचों की कमी बहुत खल रही है। हालात यह है कि यदि कोच किसी टीम को मुकाबले को लिए ले जाता है तो पीछे बचे खिलाड़ियों को प्रेक्टिस करवाने वाला कोई नहीं होता और खिलाड़ियों का की कई दिन शड्यूल बिगड़ा रहता है। जानकारी अनुसार जिला में इस समय 9 कोच हैं जिसमें तीन पक्के तौर पर हैं और बाकी 6 कोच कंट्रैक्ट बेस पर हैं इसके अलावा 2 कोच पुलिस विभाग के हैं और 2 पीआईएस के हैं। अभी भी विभाग के पास 8 कोच की कमी खल रही है। जिसमें 1 कोच फुटबाल, 1 पीआईएस, 1 स्वीमिग, 1 बेडमिटन, 1 जूडो, 1 हाकी, 2 एथलैटिक कोचों के अलावा 1 कोच बाक्सिग के लिए चाहिए। हालात यह हैं कि बॉक्सिग की खेल के जिला में बचाने के लिए पंजाब पुलिस का सहयोग लिया जा रहा है और बॉक्सिग में पंजाब पुलिस के एक कोच हरजंग सिंह अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्टेडियम नहीं है कोई रिहायशी कांप्लैक्स

यदि संस्धानों की बात की जाए तो आउट डोर स्टेडियम के पास जगह की कोई कमी नहीं है परंतु सबसे बड़ी कमी खिलाड़ियों के लिए रिहायशी कंप्लैक्स न होना है। गौरतलब है कि स्टेडियम में हर रोज दूर-दूर के गांवों के खिलाड़ी प्रैक्टिस करने आते हैं लेकिन उन्हें अपडाउन करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जिला का मेन सेंटर होने के कारण यहां पर रिहायशी कांप्लैक्स होना बहुत जरूरी है जो अभी तक नहीं बना है। यदि रिहायशी कंप्लैक्स बन जाए तो खिलाड़ियों के पक्के तौर पर यह रुकने का प्रबंध हो पाएगा व वह सही शेडयूल से तैयारी कर भी कर सकते हैं और इलाके में खेल को बड़े स्तर पर प्रमोट किया जा सकता है। खिलाड़ी रह जाते हैं पीछे

रिहायशी कांप्लेक्स न होने के कारण कई खिलाड़ी प्रैक्टिस ने होने कारण ही पीछे रह जाते हैं हालांकि उनमें प्रतिभा की कमी नहीं होती। यदि खिलाड़ियों को पूरे संस्धान मुहैया करवाए जाएं तो ही खेलों को बढ़ावा मिल सकता है। जिला में मात्र एक ही रिहायशी कंप्लैक्स है जो फुटबाल के लिए और माहिलुपर में चल रहा है और इसके अवाला किसी भी गेम के प्लेयरों के लिए जिलास्तर पर यह सुविधा ही नहीं है। जानकारी अनुसार पीआईएस का कंप्लैक्स होशियारपुर आउट डोर स्टेडियम में है जो अब आनंदपुर शिफ्ट होने के कारण पिछले काफी समय से बंद बड़ा है जिसमें खिलाड़ियों के रुकने का प्रबंध है लेकिन अभी तक सरकार ने इसी मंजूरी नहीं दी और मामला अधर में फंसा हुआ है। आला कमान को किया जाता है समय-समय पर सूचित

इस संबंध में डिस्ट्रीक खेल अधिकारी गुरप्रीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि कमी तो है और हम बार बार आला कमान को इसके बारे में बता भी रहे हैं और हर मीटिग में मुद्दा उठाया जाता है पर कोई हल नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि स्वीमिग पूल की डिमांड भी की गई थी लेकिन वह रिजेक्ट हो गई। केवल इंडोर स्टेडियम ही पास हो सका जो निर्माणाधीन है।


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