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निरंकार प्रभु को जीवन का आधार बनाएं: सुदीक्षा जी

निरंकार प्रभु समय के साथ बदलता नहीं है हमेशा एक रस रहने वाला है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 11:47 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 06:12 AM (IST)
निरंकार प्रभु को जीवन का आधार बनाएं: सुदीक्षा जी
निरंकार प्रभु को जीवन का आधार बनाएं: सुदीक्षा जी

जेएनएन, होशियारपुर : निरंकार प्रभु समय के साथ बदलता नहीं है, हमेशा एक रस रहने वाला है। इस निरंकार प्रभु में ही हर चीज की शुरुआत है और अंत में इसी में ही होता है। यह विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने अलीगढ़ में आयोजित निरंकारी संत समागम दौरान प्रकट किए। उन्होंने फरमाया कि मनुष्य शरीर में जो आत्मा है, इस निरंकार प्रभु की अंश है, इसलिए निरंकार प्रभु को ही जीवन का आधार बना कर जीवन व्यतीत करना चाहिए। अलीगढ़ तालों का शहर है। इसका उदाहरण देते हुए समझाया कि मनुष्य को मन को ताला लगा कर रखना चाहिए कि इसके में एक गलत विचार कोई सोच इसमें में आ ही न सके। यह निरंकार हर समस्या का हल है। आज समाज में मनुष्य को जाति-मजहब समेत अन्य सामाजिक बुराइयों की जंजीरों ने जकड़ा हुआ है, इसको यदि मनुष्य ब्रह्मज्ञान रूपी चाबी के साथ खोल ले तो मनुष्य परमात्मा के रंग में रंग सकता है और जीवन में खूबसूरती आ सकती है। उन्होंने फरमाया कि इस निरंकार प्रभु का एहसास करते हुए मन को साफ रखा जा सकता है। दूसरों को शिक्षा देने से पहले शुरुआत अपने आप में बदलाव लाई जा सकती है। सेवा, सिमरन और सत्संग की महिमा के बारे समझाते हुए उन्होंने कहा कि सत्संग करन के साथ मन के में शुद्ध विचारों को सुन-सुन कर और मजबूती मिलती है। सिमरन करने के साथ मन निरंकार प्रभु के साथ जुड़ जाता है। सेवा, सिमरन और सत्संग मन के साथ करना बहुत जरुरी है। यह निरंकार प्रभु सदा रहने वाली सच्चाई है।

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