चब्बेवाल में आम के बाद अब माहिलपुर के गांव लालवान में नीम व सागवान के पेड़ काटे
विश्व पर्यावरण दिवस पर चब्बेवाल में आम के हरे भरे व फल से लदे पेड़ काटे गए थे। वहीं वीरवार को माहिलपुर के पहाड़ी गांव ललवान में किसान ने जेसीबी से 30 वर्ष पुराने नीम के दो व एक सागवान का पेड़ मात्र इसलिए उखाड़ फेंका क्योंकि वह खेत की मेढ़ पर लगा था।
रामपाल भारद्वाज, माहिलपुर
विश्व पर्यावरण दिवस पर चब्बेवाल में आम के हरे भरे व फल से लदे पेड़ काटे गए थे। वहीं वीरवार को माहिलपुर के पहाड़ी गांव ललवान में किसान ने जेसीबी से 30 वर्ष पुराने नीम के दो व एक सागवान का पेड़ मात्र इसलिए उखाड़ फेंका क्योंकि वह खेत की मेढ़ पर लगा था। यह पेड़ काफी पुराने थे और करीब 30-35 क्विंटल वजन के थे। नीम की लकड़ी बाजार में कम ही बिकती है। कारण, इसकी कटाई पर पाबंदी लगी हुई है। जंगलात विभाग के अधिकारी जानकारी नहीं होने का कहकर जांच करने की बात कर रहे हैं। जबकि गांव में पदस्थ वन गार्ड व फोरेस्टर सुविधा शुल्क लेने तक सीमित हैं। यहां पर धारा चार में भी पेड़ों की कटाई व रेत खनन जारी है। धारा चार लगने पर किसी भी पेड़ की कटाई के लिए जंगलात विभाग से परमिट लेना जरूरी है, पर नीम पेड़ की कटाई पर पूर्णत पाबंदी है। इस पेड़ को विलुप्त की श्रेणी में रखा गया है। इसके बावजूद मशीनों की सहायता से खेतों में पेड़ों को उखाड़ा जा रहा है। जहां से नीम के पेड़ उखाड़े गए हैं वह सड़क वनगार्ड के क्वाटर को जाती है। अब सवाल उठता है कि क्या वनगार्ड को कटाई की जानकारी नहीं होगी, क्योंकि वह इसी रास्ते से अपने क्वाटर के लिए जाते हैं। लोगों का कहना है कि जंगलात विभाग के कर्मचारियों से मिलकर हर वह काम किया जा रहा है, जो नियमों के विपरित है। इस संबंध में जेसीबी मालिक दारा सिंह ने कहा कि सभी काम बिना मंजूरी से ही होते हैं।
अफसर बोले, करेंगे जांच
इस संबंध में माहिलपुर वन रेंज का अतिरिक्त काम देख रहे संजीव कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि समय-समय कार्रवाई की जाती है। उधर, जिला जंगलात अधिकारी अमनीत सिंह ने माना कि नीम का पेड़ नहीं काटा जा सकता, इसलिए इस मामले की जांच करेंगे।