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कागजों में बरसाती जल को बचा रहा है नगर निगम

सुरक्षित कल के लिए जल बचाने के लिए सरकारी तंत्र का प्रयास खानापूर्ति तक सीमित है। बारिश की बूंदें सहेजने की कवायद सिर्फ कागजों तक ही सीमित रही है। इसके कारण हर साल बरसाती पानी बेकार चला जाता है। अगर अभी भी जल बचाने के बारे में चेता न गया तो आने वाला समय बेहद ही खौफनाक होगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 07:31 PM (IST)Updated: Fri, 26 Mar 2021 07:20 AM (IST)
कागजों में बरसाती जल को बचा रहा है नगर निगम
कागजों में बरसाती जल को बचा रहा है नगर निगम

हजारी लाल, होशियारपुर

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सुरक्षित कल के लिए जल बचाने के लिए सरकारी तंत्र का प्रयास खानापूर्ति तक सीमित है। बारिश की बूंदें सहेजने की कवायद सिर्फ कागजों तक ही सीमित रही है। इसके कारण हर साल बरसाती पानी बेकार चला जाता है। अगर अभी भी जल बचाने के बारे में चेता न गया तो आने वाला समय बेहद ही खौफनाक होगा। पड़ताल करने पर मालूम पड़ा है कि जल बचाने के लिए नगर निगम भी कागजों में प्रयास कर रहा है। जमीनी हकीकत कोसों दूर है। पांच सौ गज से ऊपर मकान का नक्शा पास करते समय नगर निगम रेन वाटर हार्वेस्टिग बनाने की शर्त रखता है। इसके लिए बाकायदा तौर पर बीस हजार रुपये सिक्योरिटी जमा कराई जाती है। मगर, इस सिस्टम पर करीब 70 हजार रुपये खर्च होते हैं। ज्यादा पैसा खर्च करने से बचने के लिए लोग यह हथकंडा अपनाते हैं कि नक्शा पास करवा लेते हैं और घर बनाते समय रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम नहीं लगाते। नगर निगम भी उन पर कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय सिक्योरिटी पर कुंडली मारकर बैठ जाता है। आंकड़े के मुताबिक हर साल करीब सौ नक्शे ऐसे पास होते हैं, जो रेन वाटर हार्वेस्िटग सिस्टम के दायरे में आते हैं, लेकिन किसी ने भी नियमों को नहीं अपनाया है। यह नगर निगम की उदासीनता ही कहेंगे कि बरसाती पानी की बर्बादी थम नहीं रही।

विभागीय कार्रवाई करेगा निगम : कमिश्नर

नगर निगम के कमिश्नर अमित पांचाल ने कहा कि नियमों के अनुरूप लोगों को काम करना चाहिए। वह ऐसे मामलों की पड़ताल कराएंगे। जो भी मकान मालिक नियमों का उल्लंघन करता पाया गया, उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।

डार्क जोन में पहुंचे जिले के चार ब्लाक

भूजल का अत्यधिक दोहन और बरसाती पानी की संभाल न होने से धरती डार्क जोन में पहुंच रही है। जिले के ब्लाक मुकेरियां को छोड़कर अन्य ब्लाकों की स्थिति ठीक नहीं है। गढ़शंकर, दसूहा, हाजीपुर व टांडा डार्क जोन में चले गए हैं जबकि तलवाड़ा ग्रे जोन में पहुंच चुका है। ब्लाक भूंगा, होशियारपुर-1 और माहिलपुर ग्रे जोन की ओर बढ़ रहा है। कृषि विभाग विभाग के मुताबिक फसली चक्र का न टूट पाना और अत्याधिक दोहन से स्थिति खराब हो रही है। कुआं, तालाब न होना भी समस्या का कारण बन रहा है।

यहां हो रहा है सराहनीय कार्य

जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स होशियारपुर ऐसा पहला प्रबंधकीय कांप्लेक्स बन गया है, जहां जिला प्रशासन की ओर से वर्षा जल सरंक्षण के लिए रेन वाटर हार्वेस्िटग सिस्टम लगाया गया है। प्रशासन के इस बेहतरीन प्रयास से जहां कांप्लेक्स में जल सरंक्षण किया जा रहा है वहीं अन्य सरकारी भवनों में भी रेन वाटर हावेस्िटग सिस्टम लगाने की जरूरत है।


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