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अधिकतर डाक्टरों का था गांव, इसलिए माता-पिता के सपने को दे दी उड़ान

गांव के अधिकतर लोग डाक्टर थे। पिता खेती करते थे व परिवार का सपना था कि मैं बड़ा होकर डाक्टर बनूं। होश संभालने के बाद विपरीत परिस्थितियों में बुलंद हौसले से परिजनों की उम्मीदों को साकार कर लिया था। यह कहना है सरकारी अस्पताल होशियारपुर में बतौर एसएमओ तैनात डा. जसविदर सिंह का।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 05:47 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 07:09 AM (IST)
अधिकतर डाक्टरों का था गांव, इसलिए माता-पिता के सपने को दे दी उड़ान
अधिकतर डाक्टरों का था गांव, इसलिए माता-पिता के सपने को दे दी उड़ान

हजारी लाल, होशियारपुर

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गांव के अधिकतर लोग डाक्टर थे। पिता खेती करते थे व परिवार का सपना था कि मैं बड़ा होकर डाक्टर बनूं। होश संभालने के बाद विपरीत परिस्थितियों में बुलंद हौसले से परिजनों की उम्मीदों को साकार कर लिया था। यह कहना है सरकारी अस्पताल होशियारपुर में बतौर एसएमओ तैनात डा. जसविदर सिंह का। मूलरूप से जिले के गांव बैंच के रहने वाले डा. जसविदर सिंह के पिता प्रीतम सिंह खेती करते थे। माता रेशम कौर गृहणी थीं। डा. जसविदर सिंह बताते हैं, होश संभालते ही गांठ बांध ली थी कि कुछ भी हो जाए, बड़ा होकर डाक्टर ही बनना है। हालात बिल्कुल भी अनुकूल नहीं थे, लेकिन दिल में जज्बा था।

परिवार का सपना साकार करने के लिए दिन रात मेहनत की। पढ़ने के लिए पैदल जाना पड़ता था। जीवन का सबसे यादगार दिन वह है, जब 1985 में सरकारी कालेज टांडा से प्री मेडिकल पूरा कर लिया, फिर सरकारी मेडिकल कालेज पटियाला में एमबीबीएस में दाखिला लिया। इस राह में बहुत कठिनाइयां आई, क्योंकि परिवार की आय नाकाफी थी। लेकिन, आस नहीं छोड़ी। चुनौतियों को मात देते हुए एमबीबीएस की डिग्री कर ली। नाम के आगे डाक्टर लगा तो माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो उठा।

1993 में सिरसा (हरियाणा) में बतौर एमओ की नौकरी मिली। एक साल तक यहां सेवाएं दी। इसके बाद हरियाणा की नौकरी छोड़कर पंजाब सरकार के हेल्थ विभाग में बतौर एमओ ज्वाइन कर लिया। पहली पोस्टिंग काहनूवाल (गुरदासपुर) में हुई, फिर टांडा व चक्कोवाल में सेवाएं दीं।

1999 में फोरेंसिक में एमडी भी कर ली। पोस्टिंग माछीवाड़ा (लुधियाना) में हो गई। 2003 में बतौर फोरेंसिक एक्सपर्ट सरकारी अस्पताल होशियारपुर में ज्वाइन किया। यहां पर लंबी सेवाएं देने के बाद दिसंबर 2019 में एसएमओ प्रमोट हो गए। जीवन के सफर से एक बात जरूर सीखी है कि अगर दिल में कुछ करने की इच्छा हो, तो सभी बाधाएं दूर होती हैं और कामयाबी जरूर मिलती है।

सरकारी अस्पताल को आदर्श बनाने का लक्ष्य

डा. जसविदर सिंह कहते हैं कि सरकारी अस्पताल को आदर्श अस्पताल बनाने का सपना है। कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा, डीसी अपनीत रियात और कुछ सज्जनों की मदद से बेहतरीन आइसोलेशन वार्ड बनाए हैं। मेडिकल और इमरजेंसी डिपार्टमेंट की भी कायाकल्प की जा रही है। मरीज और स्टाफ के लिए दो आलीशान पार्क बनाए जा रहे हैं। मोर्चरी में दो तरह के चैंबर्स की व्यवस्था की जा रही है। एक तरफ, गले सड़े शवों को रखा जाएगा और दूसरी तरफ, सामान्य शवों क ो ताकि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया में कोई दिक्कत न आए। अस्पताल में इतनी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की इच्छा है कि इसका नाम पंजाब के उच्च दर्जे के अस्पतालों में शुमार हो।

रसोई में उठती प्यार की महक, गार्डनिंग से रिश्तों को कर रहे हरा-भरा डा. जसविदर सिंह की पत्नी सतविदर कौर लेक्चरर हैं। बेटा करणजोत सिंह एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर चुका है। बेटी मुस्कानदीप कौर मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। बेटी की भी डाक्टर बनने की इच्छा है। घर में डाक्टर जसविदर सिंह को कुकिग करने का शौक है। उनका मानना है कि पत्नी भी सर्विस करती है। ऐसा करके वह उसका हाथ बंटाते हैं। इसके बाद घर में बनाए गए गार्डन में पौधों को पानी देते हैं।


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