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केंद्रीय जेल में कत्ल की सजा काट रहे मनी की मौत

केंद्रीय जेल में कैदी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। मृतक मनी प्रताप (35) पुत्र नंद किशोर वासी छेहरटा थाना सदर (अमृतसर) है। मनी कत्ल व जानलेवा हमले के मामले में सजा काट रहा था।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 05:22 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 06:45 AM (IST)
केंद्रीय जेल में कत्ल की सजा काट रहे मनी की मौत
केंद्रीय जेल में कत्ल की सजा काट रहे मनी की मौत

संवाद सहयोगी, होशियारपुर : केंद्रीय जेल में कैदी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। मृतक मनी प्रताप (35) पुत्र नंद किशोर वासी छेहरटा, थाना सदर (अमृतसर) है। मनी कत्ल व जानलेवा हमले के मामले में सजा काट रहा था। लगभग डेढ़ साल पहले उसे अमृतसर जेल से यहां शिफ्ट किया गया था। जेल प्रशासन मौत का कारण अचानक खराब हुई तबीयत बता रहा है, लेकिन परिवार वालों का आरोप है कि मनी की मौत का जिम्मेदार जेल प्रशासन है। उन्होंने मनी को इस कदर तक टार्चर किया कि उसने दम तोड़ दिया। परिवार वालों ने प्रशासन से गहनता से जांच करने व मेडिकल बोर्ड बनाकर मौत का सही कारण पता लगाने की मांग की है। परिवार ने आरोप लगाया कि मनी के साथ जेल में जानवरों की तरह सलूक किया जा रहा था और उसे 22-22 घंटे चक्की में रखा जाता था। इस बारे में मनी ने कई बार फोन पर बताया था। परिवार वालों ने कहा कि जुल्म के कारण वह डिप्रेशन में था।

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रात को आया था फोन, बोला परेशान करते हैं जेल मुलाजिम

जेल मुलाजिम को मनी की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद शव लेने पहुंचे मृतक के भाई मौंटी ने बताया कि मनी पिछले कुछ दिन से परेशान था। मनी ने फोन पर बताया था कि उसे 22-22 घंटे चक्की में रखा जाता है। वह इतना तंग है कि जीना नहीं चाहता। जेल मुलाजिम परेशान कर रहे हैं व टार्चर किया जा रहा है। बीमार होने पर उसे जेल में ही गलत दवाइयां दी जाती हैं। मौंटी ने बताया कि रात को फोन में मनी बार बार यही कहता रहा वह परेशान है, वह परेशान है उसे तंग किया जा रहा है और सुबह जेल से फोन आया कि मनी की अचानक मौत हो गई। मौंटी ने आरोप लगाया कि मनी मरा नहीं, उसे मारा गया है।

मुलाजिम के खाते में डलवाए थे 30 हजार

मनी अकसर जेल में पैसे मंगवाता था। कुछ दिन पहले भी तीस हजार रुपये मंगवाए थे और कहा था कि मुलाजिम मांग रहे हैं। इस पर एक मुलाजिम के खाते में पैसे डलवाए। मौंटी ने बताया कि मनी डेढ़ वर्ष पहले होशियारपुर शिफ्ट किया था। मनी जब तक अमृतसर जेल में बंद था, तब तक न तो उसे कोई परेशानी थी और न ही उसके साथ कभी मोबाइल फोन पर बात होती थी। केवल मुलाकात करने ही जाते थे। होशियारपुर शिफ्ट होने के एक सप्ताह बाद ही मनी ने रात को फोन करके बताया कि यहां सबकुछ ठीक नहीं है। जेल प्रशासन हर समय पैसे की मांग करता है और पैसे नहीं देने पर परेशान करते है। मनी का फोन आता था कि इस खाते में इतने पैसे डाल दें, नहीं तो जेल अधिकारी तंग करेंगे। सात दिन या 15 दिन बाद पैसे डाल दिए जाते थे तो मनी को जेल में दाल को तड़का लगाने की आज्ञा मिल जाती थी जब पैसे खत्म तो उसे बंदी बना दिया जाता था। दिन में मनी को 22 घंटे तक बंदी बनाकर रखते थे।

पेट में दर्द होने पर अस्पताल पहुंचने से पहले ही तोड़ दिया दम : जेल सुपरिटेंडेंट

ज ल सुपरिटेंडेंट ईएस धालीवाल ने बताया कि रात को मनी खाना खाकर बैरक में चला गया था और सुबह करीब छह बजे उसने बताया कि पेट में दर्द हो रहा है। उन्होंने तुरंत जेल अस्पताल के डाक्टर को बुलाया, तो प्राथमिक उपचार करने के बाद कहा कि मरीज को अस्पताल ले जाएं। इसके बाद मनी को जेल डिप्टी सुपरिंटेंडेंट व एक और अधिकारी लेकर अस्पताल जा रहे थे कि रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। पारिवारिक सदस्य अगर पैसे के लेनदेन का आरोप लगा रहे हैं तो उन्हें एसएसपी होशियारपुर को वह खाता नंबर देना चाहिए जिसमें पैसे डाले हैं, उक्त खाताधारक के खिलाफ मामला दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी।

परिवार ने की इंसाफ की मांग

मृतक के परिवार का कहना है कि जेल में हुई मनी की मौत पर शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों की टीम बनाकर और न्यायाधीश की देखरेख में होना चाहिए। इसके लिए न्यायाधीश हिमांशु गिल्होत्रा जेएमआइसी को जिम्मेदारी सौंपी जाएं और एक बोर्ड बनाकर कैमरे के सामने पोस्टमार्टम कराया जाए। रिपोर्ट के बाद सारा मामला साफ हो जाएगा कि मौत का क्या कारण था।


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