गणेश सभी बाधाओं का करते हैं हरण : महंत रमेश दास
दातारपुर के गजानन चौक में आजकल बोबी कौशल की प्रधानगी में और महामंडलेश्वर महंत रमेश दास जी की अध्यक्षता में प्रथम पूज्य गणेशोत्सव की बड़ी धूम है। 23 सितंबर तक हो रहे इस समागम में असंख्य नरनारी जुट रहे हैं। इस अवसर पर उपस्थिति को प्रवचन करते हुए महंत
संवाद सहयोगी, दातारपुर
दातारपुर के गजानन चौक में आजकल बौबी कौशल की प्रधानगी में और महामंडलेश्वर महंत रमेश दास की अध्यक्षता में प्रथम पूज्य गणेशोत्सव की धूम है। 23 सितंबर तक हो रहे इस समागम में बड़ी संख्या में लोग पधार रहे हैं। इस अवसर पर उपस्थिति को प्रवचन करते हुए महंत रमेश दास ने कहा कि शास्त्र के अनुसार कलियुग में भगवान गणेश की पूजा अत्यंत फलदायी है। इसलिए पूरे देश में गणपति आराधना के प्रति स्वाभाविक आकर्षण दिखता है।
उन्होंने कहा वैसे प्रथम पूज्य होने के कारण गणपति की पूजा हर भारतीय घर में होती ही है। मगर, गणेशोत्सव की समयावधि में उनकी विशेष पूजा की जाती है। शुरू में गणेशोत्सव का केंद्र महाराष्ट्र रहा है। शिवाजी की माता जीजाबाई ने पुणे के कस्बा गणपति में गणेश जी की स्थापना की थी और पेशवाओं ने गणेशोत्सव को बहुत अधिक बढ़ावा दिया। मूलत: गणेशोत्सव पारिवारिक त्योहार था। फिर गणेशोत्सव राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया। उन्होंने भगवान शिव द्वारा गणेश का धड़ अलग करने की कथा सुनाते हुए बताया कि किस प्रकार शिव ने गणेश के कटे धड़ पर हाथी का मस्तक लगाया। उन्होंने बताया कि यह घटना भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर घटित हुई थी, इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व के रूप में मनाई जाती है।
उन्होंने बताया कि दस दिन तक चलने वाले गणेशोत्सव में शिव-पार्वती के नंदन श्रीगणेश की प्रतिमा को घरों, मंदिरों अथवा पंडालों में साज-श्रृंगार के साथ चतुर्थी को स्थापित किया जाता है। दस दिनों तक गणेश प्रतिमा का नित्य विधिपूर्वक पूजन किया जाता है और 11वें दिन इस प्रतिमा को बड़े धूमधाम से विसर्जित किया जाता है। गणेश जी तमाम विघ्न बाधाओं का हरण करते हैं। श्रद्धापूर्वक उनका पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस अवसर पर समाजसेवक बौबी कौशल, बृजमोहन पप्पू, डॉ. सुदर्शन चौहान, देस राज, विजय कुमार, भोलू बाबा, हेम राज, ¨प्रसिपल सतपाल सेल, रविनंदन आदि गण्यमान्य भी उपस्थित थे।