Move to Jagran APP

लावारिस पशुओं की शरणस्थली बनी कंडी नहर

कड़कती ठंड भूख और प्यास से बेहाल लावारिस पशु कंडी नहर में मारे-मारे फिर रहे हैं। वहां उन्हें चारा डालने वाला कोई भी नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 04:35 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 04:35 PM (IST)
लावारिस पशुओं की शरणस्थली बनी कंडी नहर
लावारिस पशुओं की शरणस्थली बनी कंडी नहर

रामपाल भारद्वाज, माहिलपुर : कड़कती ठंड, भूख और प्यास से बेहाल लावारिस पशु कंडी नहर में मारे-मारे फिर रहे हैं। वहां उन्हें चारा डालने वाला कोई भी नहीं है। माहिलपुर ब्लाक के पहाड़ी गांवों में लोगों द्वारा दूध न देने वाले नकारा पशुओं को रात के अंधेरे में ट्रैक्टर ट्राली व अन्य वाहनों में लाकर छोड़ दिया जाता है। यह पशु पेट की आग बुझाने के लिए किसानों के खेतों में लगाई फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे परेशान होकर किसान अपनी फसल बचाने को इन पशुओं को पकड़ कर कंडी नहर में धकेल देते हैं। इस नहर में धकेले गए लावारिस पशुओं को चारा नहीं मिलता जिसके कारण इनकी हालत काफी दयनीय हो गई है। भूख और प्यास के चलते यह पशु धीरे-धीरे दम तोड़ देते हैं। इन नहर के आस-पास रहने वाले गांवों के लोगों का कहना है कि गायों को लेकर धार्मिक आस्था वाले देश में इनकी बेहद दयनीय हालत में देखकर बहुत दुख होता है। उनका कहना है कि पहले तो लोग इन पशुओं का दूध पीकर अपने बच्चों का पालन पोषण करते हैं। जब यही पशु दूध देने में असमर्थ हो जाते है तो वे इन्हें लावारिस छोड़ जाते हैं। जिसके चलते यह पशु किसानों की फसल का भारी नुकसान करते हैं। इन लोगों का कहना है कि किसान भी दुखी होकर इन पशुओं को नहर में धकेल देते हैं ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके। लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा पशुओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून सिर्फ कागजों तक ही सीमित हो कर रह गए हैं। करोड़ो रुपये की राशि कागजों पर ही खर्च हुई दिखा दी जाती है। जमीनी हकीकत इससे बहुत दूर है। वहीं सिंचाई के लिए नहर में पानी न आना भी इस चुनाव में अहम मुद्दा रहेगा। सिंचाई नहीं, पशुओं के काम आ रही कंडी नहर : वरिदर सिंह भंबरा

loksabha election banner

कंडी नहर में फंसे लवारिस पशुओं की हालत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कण्व ग्रीन फाउंडेशन के प्रधान वरिदर सिंह भंबरा ने बताया कि लोगों की कीमती जमीनों का भारी भरकम हर्जाना देकर तैयार की गई कंडी नहर से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है। लेकिन यह नहर लवारिस पशुओं की शरणस्थली में जरूर तब्दील हो गई है। पशुओं के नाम पर करोड़ों की रकम की जा रही है जमा : प्रदीप कुमार

इस संबंध में आरटीआइ कार्यकर्ता प्रदीप कुमार ललवान ने रोष व्यक्त करते हुए बताया कि सरकारें इन लावारिस पशुओं के नाम पर बिजली के बिल व अन्य विभागों के द्वारा करोड़ों रुपए जमा तो कर रही है। लेकिन यह रकम किस प्रकार और कहां खर्च किया जा रहा है इसे लेकर किसी को उचित जानकारी नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.