Move to Jagran APP

डाक्टर बनीं तो पता चला..पिता की नसीहत आत्मिक शांति का पाठ था

पिता जी डाक्टर थे और उन्होंने बचपन से इसी तरफ प्रेरित किया। पिता जी का कहना था कि यही एकमात्र काम है जिसमें जरूरतमंदों की अधिक मदद व सेवा कर सकते हैं शायद इसलिए डाक्टर को धरती पर जीवनदाता कहा जाता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 08:03 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 08:39 AM (IST)
डाक्टर बनीं तो पता चला..पिता की नसीहत आत्मिक शांति का पाठ था
डाक्टर बनीं तो पता चला..पिता की नसीहत आत्मिक शांति का पाठ था

नीरज शर्मा, होशियारपुर

loksabha election banner

पिता जी डाक्टर थे और उन्होंने बचपन से इसी तरफ प्रेरित किया। पिता जी का कहना था कि यही एकमात्र काम है जिसमें जरूरतमंदों की अधिक मदद व सेवा कर सकते हैं, शायद इसलिए डाक्टर को धरती पर जीवनदाता कहा जाता है। बस, पिता व माता की प्रेरणा से आज डाक्टर हूं। पहले पिता जी की नसीहत अच्छी तो लगती थी लेकिन डाक्टर बनने के बाद पता चला कि वह नसीहत नहीं बल्कि आत्मिक शांति का मूल पाठ था। मन को बहुत सुकून मिलता है जब किसी असहाय मरीज की सहायता करती हूं। यह कहना है सिविल अस्पताल होशियारपुर में बतौर एसएमओ तैनात ईएनटी स्पेशलिस्ट डा. स्वाती का। डा. स्वाती ने बताया कि वह तीन बहनें और एक भाई हैं, तीनों बहनें डाक्टर हैं। दैनिक जागरण ने डा. स्वाती से उनके इस मुकाम तक पहुंचने के बारे में बातचीत की जिसके अंश कुछ इस प्रकार हैं। सवाल : डाक्टर बनने का मन में विचार कैसे आया?

जवाब : जब भी कुछ बनने की बात होती थी तो पिता जी हमेशा कहते थे कि डाक्टर बनना है। एक बार उनसे पूछ लिया कि आप हर बार ऐसा क्यों कहते हैं। उनका कहना था कि जब वह छोटे थे, परिवार गरीब था और उन्होंने बहन को डायरिया से खो दिया, क्योंकि गरीबी के कारण उसका इलाज नहीं हो सका। इसके बाद वह डाक्टर बने ताकि कोई गरीब इलाज की कमी से मौत का शिकार न हो जाए। बस, पिता के उस प्रण से प्रभावित होकर डाक्टर बनीं। सवाल : कब शुरू हुआ बतौर डाक्टर जिंदगी का सफर?

जवाब : अमृतसर मेडिकल कालेज से पढ़ाई की और 1997 को बतौर डाक्टर गुरदासपुर के बागोबानी में बतौर ईएनटी स्पेशलिस्ट तैनात हुई। सवाल : आगे का क्या लक्ष्य है?

जवाब : पहले केवल डाक्टर था, काम तक ही सीमित था, कुछ कमियां खलती थीं पर कर कुछ नहीं सकते थे। अब एसएमओ हूं, काफी अधिकार मिले हैं। लक्ष्य है कि सिविल अस्पताल होशियारपुर में आने वाले हरेक मरीज को सारी सुविधाएं मिलें। वह परेशान न हों। यानी कोई इस कारण रेफर न हो कि यहां वह सुविधा नहीं है। सवाल : क्या-क्या शौक हैं?

जवाब :- पढ़ने के साथ साथ कुकिग का भी शौक है। घर में किचन का सारा काम खुद ही करती हूं ताकि बच्चों को हेल्दी खाना खिला सकूं। इसके अलावा फिल्में देखना भी पसंद हैं। सवाल : कौन सा कलाकार है जो सबसे अधिक पसंद है?

जवाब : वैसे तो फिल्म इंडस्ट्री में सारे ही कलाकार अच्छे हैं। पुरानी फिल्मों में एक से बढ़कर एक कलाकार थे सब उम्दा चाहे वह विलेन हो या हीरो। सबसे अधिक पसंदीदा कलाकार अमिताभ बच्चन है। वह एक्टिंग को पूरी तरह समर्पित हैं। सवाल : डाक्टर न होती तो क्या बनती?

जवाब : वैसे तो शुरू से ही डाक्टर बनने का सपना था क्योंकि परिवार में माहौल ही ऐसा था। दिल्ली में रहे हैं इसलिए दो ही आपशन थी या डाक्टर बनना, नहीं तो इंजीनियर। यदि डाक्टर न बनती तो इंजीनियर की जगह फैशन डिजाइनर होतीं। मुझे अलग-अलग ड्रेस का शौक भी है। सवाल : माता पिता की ऐसी बात जिसने कामयाबी दिलवाई?

जवाब : हां, मुझे आज भी याद है जब डाक्टरी के लिए माता पिता से पूछा था तो उन्होंने कहा, कोई भी काम ईमानदारी और लग्न से करो। ईमानदारी में मुश्किल तो आती है पर हार नहीं मिलती। काम के प्रति समर्पण भावना होनी चाहिए। सवाल : सहयोगियों के लिए क्या संदेश देंगी?

जवाब : इतना ही कि ईमानदारी से जीती गई जंग से जो सुकून मिलता है वह लाखों खर्च करके नहीं मिल सकता। मेहनत, लग्न व ईमानदारी से किए काम में कभी हार नहीं होती। सच्चाई रहती है चाहे कोई लाख दावे करे। इसके साथ कोई भी काम बोझ समझकर न करो। जुनून से किया काम कभी गलत नहीं होता।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.