टिकट कटने पर जिपा ने छोड़ा हाथ, चुनावी मैदान में आजाद उतरने का एलान
नगर निगम चुनाव के लिए कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के शनिवार को 50 वार्डों के प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी थी। रविवार को वार्ड छह से टिकट पर कैंची चलने से नाराज पंजाब स्टेट इंडस्ट्री डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसआइडीसी) के सीनियर वाइस चेयरमेन ब्रह्मशंकर जिपा ने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा कर आजाद दो-दो हाथ करने का एलान कर दिया।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : नगर निगम चुनाव के लिए कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के शनिवार को 50 वार्डों के प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी थी। रविवार को वार्ड छह से टिकट पर कैंची चलने से नाराज पंजाब स्टेट इंडस्ट्री डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसआइडीसी) के सीनियर वाइस चेयरमेन ब्रह्मशंकर जिपा ने कांग्रेस छोड़ने की घोषणा कर आजाद दो-दो हाथ करने का एलान कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस व वाइस चेयरमैन के पद से इस्तीफा भी दे दिया। उधर, जिला कांग्रेस कमेटी ने जिपा को गद्दार करार देते हुए छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। पत्रकार वार्ता के दौरान जिंपा ने बताया कि टिकट जानबूझ कर काटी गई है ताकि वह आने वाले दिन में मेयर की कुर्सी के लिए दावा न ठोक सकें। हालांकि उनका ऐसा कोई विचार भी नहीं था। उन्होंने पहले ही साफ किया था कि एमसी के चुनाव वह लड़ेंगे परंतु बाद में जो फैसला पार्टी का होगा वह उसके साथ होंगे। इसके बावजूद तय रणनीति के कारण कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने टिकट काट दी। उन्हें तर्क दिया गया था कि आप पीएसआइडीसी के वाइस चेयरमैन हैं और चुनाव लड़ नहीं सकते। इसके चलते पीएसआइडीसी के पद से इस्तीफा दे दिया है जो सरकार को भेज रहे हैं। रही बात प्राथमिक सदस्यता छोड़ने की तो इस संबंधी जल्द ही पंजाब अध्यक्ष सुनील जाखड़ को इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी शुरुआत है जिन टकसाली कांग्रेसियों की टिकट काटी गई है वह भी लाइन में हैं व जल्द बगावत करेंगे। उन्होंने इशारा करते हुए कहा कि टकसाली कांग्रेस की हरभजन कौर ने बेटे के लिए टिकट मांगी थी वह भी काटी गई। इसके कारण उन्होंने भी बेटे को आजाद मैदान में उतारा है। मेयर न बन पाऊं, इसलिए काटी टिकट
जिपा के अनुसार मंत्री अरोड़ा उन्हें मेयर बनाना चाहते हैं जो हर बात में हां में हां मिलाए। यानी शहर में कोई ट्यूब भी खराब हो तो बदलने से पहले उनकी सलाह लें। वह धक्का बर्दाश्त नहीं करते, हालांकि उन्होंने साफ कर दिया था कि वह चुनाव लड़ना चाहते हैं और बाकी जो भी फैसला होगा वह पार्टी के साथ हैं। उसमें ही उनकी सहमति होगी परंतु फिर भी टिकट काट दी गई जो सरासर गलत है। जो टकसाली वर्कर हैं उन्हें खत्म किया जा रहा है और चहेतों को टिकटें बांटी जा रही है। उन्होंने कहा कि मंत्री अरोड़ा तर्क देते हैं कि वह नए चेहरे मैदान में उतार रहे हैं, क्या जो पार्टी के पुराने वर्कर हैं वह प्रयोग किए गए हैं, जब नए चेहरे पुराने हो जाएंगे तो उन्हें हटा दिया जाएगा। यह तो गलत है। कांग्रेस में अरोड़ा का बोलबाला
जिपा ने कहा कि वह शुरू से ही कांग्रेसी हैं। 1979 से पार्टी के साथ जुड़े हैं। उन्हें याद है कि जब ज्ञानी जैल सिंह होशियारपुर से चुनाव लड़े थे तो बूथों पर उनकी ड्यूटी थी, लेकिन अब 40 साल से निभाई गई ड्यूटी को दरकिनार कर दिया गया। होशियारपुर में इंडियन कांग्रेस पार्टी नहीं, बल्कि अरोड़ा कांग्रेस हावी है और वह अरोड़ा कांग्रेस में काम करने को तैयार नहीं हैं।
जिपा ने की चौथी बार गद्दारी, छह साल के लिए पार्टी से किया निष्कासित : डा. नंदा
इधर, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष डा. कुलदीप नंदा ने जिपा के बागी तेवरों को गलत ठहराते हुए पार्टी का गद्दार करार दिया है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मशंकर जिंपा द्वारा पार्टी से बार-बार बगावत किए जाने के बावजूद उन्हें सुधरने का मौका दिया। लेकिन, जिंपा पार्टी से मिले सम्मान को पचा नहीं पा रहे व उन्होंने फिर पार्टी से बगावत करके साबित कर दिया है कि वह निजी स्वार्थ के लिए किसी भी स्तर पर जा सकते हैं। इसलिए पार्टी ने ऐसी विरोधी गतिविधियों को देखते हुए छह साल के लिए पार्टी से निष्काशित कर दिया है। इस मौके शहरी अध्यक्ष मुकेश डावर, रजनीश टंडन, सुदर्शन धीर व हरीश आनंद भी मौजूद रहे। डा. नंदा ने बताया कि 2003 में जब कांग्रेस सरकार थी तो नगर परिषद चुनाव में जिंपा ने पार्टी से गद्दारी करते हुए पीठ में छुरा घोंपा था और विरोधियों से मिलकर पार्टी के प्रधान पद के आधिकारित उम्मीदवार का विरोध जताया था। इसके बाद 2007 में भी कांग्रेस के प्रधान पद के उम्मीदवार सुरिदर शिदा, जिनके नाम का अनुमोदन सरवन सिंह ने किया था, का भी विरोध किया था और भाजपा के एक पूर्व मंत्री से मिलकर पार्टी से बगावत की थी। इतना ही नहीं, 2004 में जब कांग्रेस का लेफ्ट पार्टी के साथ समझौता हुआ था और यहां की एमपी सीट से दर्शन सिंह मट्टू को टिकट दिया था तो उस समय भी जिंपा ने कांग्रेस से बगावत की थी और पार्टी प्रत्याशी के विरोधियों का साथ दिया था। जिंपा जिस ईमानदारी की बात करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं वह अपने गिरेबां में झांक लें कि उन्होंने पार्टी के साथ कितनी ईमानदारी की है। डा. नंदा ने कहा कि इनके द्वारा तीन बार बगावत करने के बावजूद पार्टी ने इन्हें सुधरने का मौका देते हुए प्रदेश के प्रतिष्ठित पद पर आसीन किया। लेकिन, जिंपा ने एक बार फिर से पार्टी से बगावत कर बगावत फितरत को साबित कर दिया है और अब ऐसे लोगों को पार्टी में बने रहने का हक नहीं दिया जाएगा।