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नगर निगम चुनाव : 26 का जादुई आंकड़ा छूने के लिए लगाना होगा सटीक गणित

नगर निगम के चुनाव में 50 में से 26 सीटों का जादुई आंकड़ा छूने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को सटीक गणित लगाना होगा। इसके लिए कांग्रेस भाजपा आप और अकाली दल बादल के नेताओं को अच्छे फार्मूले से चुनावी मैदान में टक्कर देनी होगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 06:41 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 07:10 AM (IST)
नगर निगम चुनाव : 26 का जादुई आंकड़ा छूने के लिए लगाना होगा सटीक गणित
नगर निगम चुनाव : 26 का जादुई आंकड़ा छूने के लिए लगाना होगा सटीक गणित

हजारी लाल, होशियारपुर

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नगर निगम के चुनाव में 50 में से 26 सीटों का जादुई आंकड़ा छूने के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को सटीक गणित लगाना होगा। इसके लिए कांग्रेस, भाजपा, आप और अकाली दल बादल के नेताओं को अच्छे फार्मूले से चुनावी मैदान में टक्कर देनी होगी। क्योंकि, इस बार सभी राजनीतिक पार्टियां अपने बलबूते पर चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस तो पहले भी अपने दम पर चुनाव लड़ती आ रही है। इसलिए उसके लिए यह चुनाव भी पुराना राजनीतिक ट्रैक जैसा ही है, मगर भाजपा और अकाली दल का गठबंधन टूटने से सारा राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा गया है। दोनों ही पार्टियों को नए सिरे से राजनीतिक बिसात बिछानी पड़ रही है। भाजपा को भी फिर मेहनत करनी पड़ रही है, लेकिन अकाली दल बादल की हालत दिल्ली दूर के समान हैं। क्योंकि उसे 33 सीटों पर राजनीतिक जमीन तैयार करनी है जबकि भाजपा को 17 सीटों पर। आम आदमी पार्टी के लिए भी यह चुनाव पहला है।

अकाली-भाजपा में इस बार छत्तीस का आंकड़ा

पिछले नगर निगम चुनाव में भाजपा-अकाली दल बादल ने एक साथ चुनाव लड़ा था। पचास सीटों में से 33 पर भाजपा और 17 पर अकाली दल ने चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी और अकाली दल बादल को दस सीटों पर सफलता मिली थी। यूं कहें कि अकाली और भाजपा को मिलाकर गठबंधन ने 26 का जादुई आंकड़ा छुआ था। इसके बाद शिव सूद को मेयर की कुर्सी नसीब हुई थी। कांग्रेस इस बात को लेकर राहत महसूस कर रही है कि पिछली बार भाजपा-अकाली मिलकर चुनाव लड़े थे तब भी उसने 17 सीटें जीत ली थी। इस बार तो अकाली-भाजपा में छत्तीस का आंकड़ा है। कांग्रेस का मानना है कि ऐसे में उसे फायदा मिलेगा। कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा इस बार कोई जोखिम न उठाते हुए मिशन 50 की राजनीतिक बिसात बिछा रहे हैं।

अकाली दल को साख बचाने की चिता

भाजपा के साथ गठबंधन में दस सीटें जीतने वाले अकाली दल बादल को इस बार निगम चुनाव में अपनी साख बचाने की बहुत ज्यादा चिता है। क्योंकि उसके लिए 17 वार्डों को छोड़कर बाकी के 33 वार्ड नए हैं और वार्डों की राजनीतिक समझ नहीं है। क्योंकि इससे पहले उन वार्डों में अकाली दल के नेता नहीं, बल्कि भाजपाई राजनीतिक बिसात बिछाते थे। शिअद के लिए पुराना आंकड़ा भी बरकरार रखना दिल्ली दूर है, वाली कहावत नजर आ रही है। अकाली दल बादल में ज्यादातर उम्मीदवार वही आ रहे हैं, जिन्हें भाजपा और कांग्रेस से टिकट के लिए न हो चुकी है।

आप के लिए खोने को कुछ नहीं

आम आदमी पार्टी नगर निगम का चुनाव पहली बार लड़ रही है। इसलिए उसके पास खोने को कुछ नहीं है, सिर्फ पाने को ही है। मसलन कि वह जितनी भी सीटें जीतती है, उसका फायदा ही होगा। कोई सीट भी न जीतने की सूरत में उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होगा।


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