पंडित राधेश्याम ने कहा, छठ माता को गन्ना है काफी प्रिय
झुग्गी कालोनी के नजदीक रहते पंडित राधेश्याम ने छठ पर्व के महत्व पर जानकारी देते हुए बताया पहले दिन सेंधा नमक घी से बना अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : छठ पूजा का त्योहार चार दिन का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह शुरू होता है। झुग्गी कालोनी के नजदीक रहते पंडित राधेश्याम ने छठ पर्व के महत्व पर जानकारी देते हुए बताया, पहले दिन सेंधा नमक, घी से बना अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरंभ होता है। व्रत रखने वाले भक्त दिन भर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब सात बजे से खीर बनाकर व पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भजन गाए जाते हैं और अंत में लोगों को पूजा का प्रसाद दिया जाता है। छठ में ठेकुए का प्रसाद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। गुड़ और आटे से मिलाकर ठेकुआ बनता है। इस प्रसाद के बिना छठ पूजा को अधूरी माना जाता है। इसी तरह पूजा में गन्ने का भी विशेष महत्व माना जाता है। अर्घ्य देते वक्त पूजा की सामग्री में गन्ने का होना सबसे जरूरी समझा जाता है। गन्ने को मीठे का शुद्ध स्त्रोत माना जाता है। गन्ना छठ मैय्या को बहुत प्रिय है। पूजा सामग्री में फलों का महत्व
पूजा करने के दौरान केले का पूरा गुच्छ मां को अर्पित किया जाता है। केले का प्रयोग छठ मैय्या के प्रसाद में भी किया जाता है। इसी तरह अर्घ्य देने के लिए जुटाई गई सामग्रियों में पानी वाला नारियल भी महत्वपूर्ण माना जाता है। छठ माता को इसका भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है। छठ मैय्या के भक्ति गीतों में भी केले और नारियल का जिक्र किया जाता है।
नींबू भी है जरूरी
खट्टे के तौर पर छठ मैय्या को डाभ नींबू भी अर्पित किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का नींबू होता है जो अंदर से लाल और ऊपर से पीला होता है। इसका स्वाद भी हल्का खट्टा मीठा होता है। वहीं चावल के लड्डू जो एक खास प्रकार के चावल से बनाए जाते हैं। इस चावल की खूबी यह होती है कि यह धान की कई परतों में तैयार होता है जिससे यह किसी भी पक्षी द्वारा भी झूठा नहीं किया जा सकता है। मान्यता है कि किसी भी तरह से अशुद्ध प्रसाद चढ़ाने से छठ मैय्या नाराज हो जाती हैं, इसलिए इनके प्रसाद का बड़ा ध्यान रखा जाता है। यह पर्व कंडी में उत्साह से मनाया जा रहा है।