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रैन बसेरों में अव्यवस्थाओं का बसेरा

नगर निगम की ओर से लाखों रुपये खर्च करके पर मुसाफिरों के लिए बनें सफेद हाथी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Dec 2021 04:32 PM (IST)Updated: Mon, 20 Dec 2021 04:32 PM (IST)
रैन बसेरों में अव्यवस्थाओं का बसेरा
रैन बसेरों में अव्यवस्थाओं का बसेरा

संवाद सहयोगी, होशियारपुर : नगर निगम की ओर से लाखों रुपये खर्च करके पर मुसाफिरों के लिए रात को ठहरने के लिए बनाए गए रैन बसेरों पर हर समय ताला लटका रहता है। ऐसे में यह रैन बसेरे सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। नगर निगम ने बहादुरपुर के गांधी चौक स्थित लाइब्रेरी पर रैन बसेरे का निर्माण किया है।

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बहादुरपुर में बने रैन बसेरे में एक कमरा है, जबकि खानपुर ई गेट में करीब सालो पुराने लाखों रुपये खर्च करके दो कमरों में रैन बसेरे का निर्माण किया गया है। इस तरह शहर के फायर ब्रिगेड में रैन बसेरा तैयार किया गया है। आलम यह है कि रैन बसेरे केवल खानापूर्ति बनकर रह गए हैं। जमीनी हकीकत तो यह है कि यह सभी रैन बसेरों का साल में 12 माह ताला लटका रहता है। यही बात खानपुरी गेट और बहादुरपुर में बने रैन बसेरे की हो तो अब तक गिनती के लोगों को ही रात के समय आश्रय दे पाए हैं। पिछले सप्ताह में करीब एक मुसाफिर को आश्रय दे पाए हैं। खानपुरी गेट के रैन बसेरे के बाहर रही सही कसर बने कमरों की सफाई की दुर्दशा बयान कर रही है कि कानपुरी गेट में पीने का पानी नहीं है और बाथरूम स्वास्थ्य नहीं है। रही कसर रेलवे रोड फायर बिग्रेड के कमरों की दशा ठीक नहीं है। बहादुरपुर के रैन बसेरे में ताला लटका दिखाई दिया और खानपुरी गेट के रैन बसेरे के आंगन में गंदगी का आलम देखने को मिला इससे लगता है कि निगम ने रैन बसेरे में कभी काल ही साफ सफाई कराई जाती है। जब ऐसे में अगर कोई गलती से रात को ठहरने के लिए इस रैन बसेरे का आशय ले पी ले तो उसे एक रात काटनी भारी पड़ जाती है। अब तक इन रैन बसेरों में कुछ एक लोगों को ही रात को ठहरने के लिए खत्म हुई है। इसकी वजह है कि इन रैन बसेरों में निगम की तरफ से स्थाई तौर पर किसी कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई है। हिदू शेरों के बाहर स्थाई रूप बोर्ड लगा रखा है कि उन पर संबंधित कर्मचारियों के नंबर लिख रखे हैं। निगम अधिकारियों का तर्क है कि जिनको भी रैन बसेरे में तय करना होता है, वह जहां लिखे नंबर पर फोन कर देते।

निगम अधिकारियों का तर्क है कि जिनको भी रैन बसेरे में रहना होता है वह जहां लेकर नंबर पर फोन कर लेते हैं। इससे संबंधित कर्मचारी खुद वहां जाकर कमरा खोल देते हैं। देखने वाली बात यह है कि अगर संबंधित अधिकारी शहर में ना हो तो ऐसे में रैन बसेरों में रहने की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाएगी। वहीं दूसरा रैन बसेरों में कोई स्थाई कर्मचारी भी नियुक्त नहीं है तो ऐसे में जानवरों की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान लग जाता है, वहीं अगर कोई स्थाई कर्मचारी इन रैन बसेरों में मौजूद रहेगा, तो साफ सफाई भी रहेगी ।

फायर ब्रिगेड में बने रैन बसेरे में पेयजल के लगे फिल्टर की दुर्दशा भी ठीक नहीं की रसोई घर में पानी की व्यवस्था ना होने के कारण वहां पर पड़ी गंदगी भी बता रही थी कि सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है।


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