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मनुष्य का कर्मो के अनुसार ही मिलता है फल: महंत रमेश दास

बावा लाल दयाल दरबार दातारपुर में आज फाल्गुन संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन करते हुए महंत रमेश दास ने कहा कि लोगों का कहना है कि आज की दुनिया में जो मनुष्य अत्याचार करता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 01:12 AM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 01:12 AM (IST)
मनुष्य का कर्मो के अनुसार ही मिलता है फल: महंत रमेश दास
मनुष्य का कर्मो के अनुसार ही मिलता है फल: महंत रमेश दास

संवाद सहयोगी, दातारपुर : बावा लाल दयाल दरबार दातारपुर में आज फाल्गुन संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन करते हुए महंत रमेश दास ने कहा कि लोगों का कहना है कि आज की दुनिया में जो मनुष्य अत्याचार करता है, कालाबाजार करता है, वही सुखी देखा जाता है। उसी के बड़े-बड़े बंगले बने हुए हैं। वहीं आज की दुनिया में सम्मान पाता है और जो ईमानदारी से न्यायपूर्वक धन कमाकर अपना किसी तरह गुजारा करता है। उसकी न तो कोई भाई-बंधुओं में गिनती है, न समाज में, न उसे कोई स्थान प्राप्त है। महंत जी ने कहा इसलिए लोग कहते हैं कर्म कोई फल नहीं देते, अगर फल देते होते तो जो व्यक्ति भगवान की भक्ति करता है, पाप नहीं करता, दान आदि देता है, उसे सुखी रहना चाहिए और जो व्यसनी है, पापी है, अत्याचारी है, उसे दुखी रहना चाहिए।

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उन्होंने कहा पर ऐसा मानना ठीक नहीं है। क्योंकि वह कोई जरूरी नहीं कि आज के किए हुए शुभाशुभ कर्म आज ही फल दें। आज भी दे सकते हैं, कुछ समय पश्चात भी और दूसरे जन्मों में भी उदय आ सकते हैं तथा कई जन्मों के बाद भी कर्म अपना फल दे सकते हैं। क्योंकि जब जिस कर्म का उदय होगा तभी उसका फल मिलेगा। महंत जी ने कहा जो लोग आज पाप करते हुए भी सुखी देखे जाते हैं तो कहना होगा कि अभी उनके पूर्व में किए हुए पुण्य कर्मों का फल प्राप्त हो रहा है। अभी जो कुछ कर रहा हैं उसका फल भी भविष्य में प्राप्त होगा। महंत ने कहा संसार में देखा जाता है कि अधिक जीव सुखी नहीं हैं। इसका मूल कारण है कि पूर्व में किये हुए जिस कर्म का उदय आता है तदनुसार फल मिलता है। जीवन में सुख पाने के लिए कई साधनों की आवश्यकता होती है, परंतु संसार में एक ही व्यक्ति को ये सभी साधन एक साथ मिलना असंभव है। उन्होंने कहा एक व्यक्ति स्वस्थ है परंतु उसके पा धन का अभाव है दूसरा व्यक्त धनी है। परंतु वह सदा रोगी है। किसी के पास धन भी है, स्वस्थ भी है परंतु संतान न होने के कारण दुखी है, यदि संतान भी है तो वह रोगी या दुश्चरित्र है। किसी के पास धन भी है संतान भी है। परंतु उसकी पत्नी दुष्ट स्वभाव की या फूहड़, कुटिल है, जिसके कारण घर में सदैव क्लेश रहता है। इसी प्रकार हम देखते हैं कि संसार मेंसभी जीव दुखी हैं।

इन सुखों व दुखों का मूल कारण हमारे द्वारा किए हुए अच्छे व बुरे कर्म ही हैं। वे कर्म हमारे इस जन्म के किए हुए भी हो सकते हैं और पिछले जन्मों के किए हुए भी इससे पूर्व कल के रखे गए श्रीराम चरित मानस के अखंड पाठ का आज सुबह भोग डाला गया। संकीर्तन के उपरांत विशाल भंडारा लगाया गया जिसमे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर अशोक गुलाटी, सुदर्शन, तरसेम लाल, अविनाश कुमार, अमित शारदा, जनक राज, अनीता, सुदेश कुमारी, भोली देवी, ओंकार चंद, कांता देवी, सु¨रदर कुमार, राजिंद्र कुमार, शीला देवी, राजेश आदि भी उपस्थित थे।


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