बिना स्पीड गवर्नर दौड़ रहीं रोडवेज की बसें
देश में हो रहे सड़क हादसों में कमी लाने के लिए करीब सात साल पहले सुप्रीम द्वारा वाहनों में स्पीड गर्वनर लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
व¨रदर बेदी, होशियारपुर
देश में हो रहे सड़क हादसों में कमी लाने के लिए करीब सात साल पहले सुप्रीम द्वारा वाहनों में स्पीड गर्वनर लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। देश भर में सड़क हादसों में रोजाना हजारों की संख्या में कीमती जाने चलीं जाती हैं। ज्यादातर होने वाले सड़क हादसे वाहनों की तेज रफ्तारी की वजह से होते हैं। करीब पांच साल पहले पंजाब सरकार द्वारा ट्रांसपोर्ट वाहनों की स्पीड पर लगाम कसने के लिए निर्देश जारी किए गए थे। जिसके तहत सभी सरकारी बसों में स्पीड गर्वनर लगाए गए थे। होशियारपुर डिपो में नई पुरानी कुल मिलाकर 116 बसों का फ्लीट है। इन सभी बसों में स्पीड गर्वनर लगाए गए थे। रोडवेज अधिकारियों की माने तो सभी बसों मे लगे स्पीड गर्वनर काम कर रहे हैं। मगर सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब पंजाब रोडवेज की बेड़े में आई 28 बसों में ही स्पीड गर्वनर काम कर रहे हैं। वहीं बाकि बसों में स्पीड गर्वनर तो लगे हैं वह या तो खराब हैं या सही तरह से काम नहीं कर रहे। इसका कारण जानने पर पता चला कि रोडवेज की जिन बसों में स्पीड गर्वनर लगाए गए थे। उनमें से जो एक बार खराब हो गए तो दोबारा ठीक नहीं करवाए गए। जानकारी के मुताबिक जिन बसों में स्पीड गर्वनर लगे हैं। वह बसें 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से तेज नहीं दौड़ पाती। इसकी तुलना में जिन बसों में स्पीड गर्वनर नहीं है। वह बसे तेज रफतार से दौड़ती हैं। नाम न छापने की शर्त पर सरकारी बस चालक ने बताया कि सवारी को लेकर सभी बस चालकों में कंपीटीशन होता है। ऐसा खासकर लंबे रुट वाली बसों में होता है। सरकारी बसों में लगे स्पीड गर्वनर की वजह से बस की रफतार बंध जाती है। अब अगर सरकारी बस चालक तेज रफतार करने के लिए चलाता है तो डी़जल की ज्यादा खपत होती है। सरकारी बस की कम स्पीड पर चलने की वजह से सवारी निजी बसों को तवज्जो देती थी। बस तेज चलाने पर डीजल की खपत ज्यादा और कम रफतार पर चलाने पर सवारी की कमी। ऐसे में सरकारी बस चालकों ने जिन बसों के एक बार स्पीड गर्वनर खराब होने की सूरत में दोबारा ठीक नहीं करवाया। उन्होंने बताया कि कई बार स्पीड गर्वनर की वजह से वाय¨रग में शाट सर्किट भी हो चुका है। क्या होता है स्पीड गर्वनर
वाहनों की रफ्तार को एक स्तर तक नियंत्रित करने के लिए एक खास प्रकार के उपकरण को सपीड गर्वनर कहते है। जिन वाहनों में ऐसे स्पीड गर्वनर लगाए जाते हैं। उनकी रफ्तार 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक बंध जाती है। कैसे करता है यह काम
जानकारी के मुताबिक बड़े वाहनों में लगने वाले स्पीड गर्वनर को वाहन के इंजन के साथ कनेक्ट किया जाता है। यह एक तरह से इंजन की रफ्तार को एक लिमिट तक बांध देता है। अगर वाहन चालक उससे अधिक गति पर वाहन को दौड़ाने का प्रयास करता है तो इंजन बंद हो जाता है जिसे थोड़ी देर बाद दोबारा स्टार्ट करना पड़ता है। जिससे वाहन चालक चाह कर भी तेज गति नहीं कर सकता। निजी बसों में नहीं लगे स्पीड गर्वनर
शहर में कई निजी बस ट्रांसपोर्ट हैं। नाम न छापने के शर्त पर एक निजी ट्रांसपोर्ट के कर्मचारी के मुताबिक किसी भी निजी बस में स्पीड गर्वनर नहीं लगाया गया। अगर किसी बस में लगा भी होगा तो वह काम नहीं कर रहा। क्योंकि स्पीड गर्वनर लगने से वाहन की रफ्तार एक सीमित सीमा तक बंध जाती है। इसके विपरीत जिन बसों में स्पीड गर्वनर नहीं लगा होता वह आगे निकल जाती है। सभी बसों में लगे है स्पीड गर्वनर: जीएम
इस बारे में जीएम रोडवेज बीएस मिन्हास का कहना है कि रोडवेज के बेड़े में 28 नई आई बसों में तो स्पीड गर्वनर कंपनी से ही लग कर आए है। इन बसों की रफ्तार 80 तक सीमित है। बाकी पुरानी बसों में भी स्पीड गर्वरनर लगे हुए हैं। अब वो काम कर रहे हैं या नहीं यह तो चेक करके ही पता लग सकता है। पासिंग के वक्त होती है चेकिंग
एमवीआइ म¨हदरपाल ने बताया कि जिले में सरकारी व निजी बसों में स्पीड गर्वनर लगे होने पर ही इनकी पा¨सग की जाती है। पा¨सग के वक्त सभी बसों की चे¨कग होती है। अब अगर बस चालक बाद में गर्वनर को डिस्कनेकट करते हैं तो इस बारे में वह क्या कह सकते है। समय-समय पर होती है चे¨कग: आरटीए
इस बारे में आरटीए करन ¨सह का कहना है कि पा¨सग के वकत सभी बसों में स्पीड गवर्रनर चेक किए जाते हैं। बिना स्पीड गर्वरनर के बसों की प¨सग नहीं होती। इसे लिए समय समय पर बसों की रोड पर भी चे¨कग की जाती है। जिन बसों का स्पीड गर्वरनर काम नही कर रहा है या बस में लगा नहीं ऐसी बसों को इंपाउंड किया जाता है। ऐसी बसों के आंकड़े के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वह रिकार्ड चेक करके ही कुछ बता सकते हैं। ओवरस्पीड से हो चुके हैं हादसे
करीब एक साल पहले तलवाड़ा के रजवाल गांव में ओवर स्पीड मिनी बस हादसा ग्रस्त होने से दो युवकों की मौत हो गई व 20 लोग घायल हो गए। इसी तरह तीन साल पहले जालंधर रोड पर चकक गुजरां में होने वाला सड़क हादसा भी बस की तेज रफ्तारी की वजह से हुआ था। जिसमें 12 लोग घायल व दो की मौत हो गई। वहीं उससे दो महीने पहले भी इसी कंपनी की तेज रफतार बस अनियंत्रित होकर एक आटो चालक को चपेट में ले लिया था। जिसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। मगर बस चालक व प्रशासन होने वाले इन सड़क हादसों से सबक लेने को तैयार नहीं।