आस्था का केंद्र है भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर
गोशाला बाजार के लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित शिवलिग शहर के हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। सावन के माह में हर रोज सैकड़ों लोग यहां पर आकर पूजा अर्चना कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : गोशाला बाजार के लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित शिवलिग शहर के हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। सावन के माह में हर रोज सैकड़ों लोग यहां पर आकर पूजा अर्चना कर रहे हैं। इसके साथ भक्त भोलेनाथ के साथ साथ भगवान विष्णु के जयकारे लगाकर वातावरण को भक्तिमय बना रहे हैं। शिवरात्रि में यहां उत्सव मनाया जाता है। मंदिर में सत्यनारायण की मूर्ति की आभा देखते ही बनती है।
मंदिर का इतिहास
18वीं शताब्दी में कुछ सेठ हिमाचल व जम्मू तक व्यापार करने के लिए जाते थे। इन्हीं व्यापारियों में सेठ भजनलाल सराइया और सेठ हरजीमल सराइया दो भाई थे जो जाते समय इस इलाके में ठहरते थे। धार्मिक विचार, भगवान में प्रगाढ़ आस्था, सादगी और सदाचार तो जैसे उनके संस्कारों में ही घुले मिले थे। इलाके के लोगों ने उनसे आग्रह किया कि मंदिर बनाया जाए तो उन्होंने 1890 में यहां कुछ जमीन लेकर भव्य मंदिर का निर्माण किया जो होशियारपुर का सबसे प्राचीन मंदिर (श्री सत्यनारायण मंदिर) कहलाया। मंदिर में दक्षिण भारत से लाकर श्री लक्ष्मी नारायण भगवान की मूर्तियां शास्त्र समेत विधि विधान के साथ स्थापित करवाई गई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ की पिडी भी स्थापित की।
मार्केट का निर्माण करवा भविष्य की रखी नींव
मंदिर में कुछ कमरों का भी निर्माण करवाया गया। दो कुएं भी खुदवाए गए ताकि आने जाने वालों को रात्रि विश्राम व रहने, खाने-पीने में कोई परेशानी न हो। सबसे रोचक तथ्य यह रहा कि भविष्य में भी मंदिर का रख-रखाव और पूजा पद्धति को जारी रखने के लिए दोनों भाइयों ने मंदिर के नजदीक और जमीन खरीद ली और उसमें मार्केट बना दी ताकि उससे होने वाली आय से मंदिर का कार्य व्यवस्थित ढंग से चलता रहे।