मनमोहन सिंह की बेटी बोलीं- मेरे पिता ने कभी कोई पद नहीं मांगा बल्कि लोग खुद बुलाते थे
दमन सिंह ने कहा, मेरे पिता मनमोहन सिंह ने कभी किसी पद के लिए आवेदन नहीं किया, बल्कि उनकी योग्यता के चलते लोग उनके पास आकर उन्हें अपने संस्थान में कार्य करने के लिए आमंत्रण देते थे।
होशियारपुर, जेएनएन। ''मेरे पिता ने कभी किसी पद के लिए आवेदन नहीं किया, बल्कि उनकी योग्यता के चलते लोग उनके पास आकर उन्हें अपने संस्थान में कार्य करने के लिए आमंत्रण देते थे। राजनीति में भी उनका यही स्टैंड रहा। अध्यापन, प्रशासनिक अधिकारी से लेकर राजनीति तक उनका सफर सादगी भरा ही रहा है।'' यह विचार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री दमन सिंह ने अपनी पुस्तक स्ट्रिक्टली पर्सनल- मनमोहन एंड गुरशरण पर चर्चा करते हुए व्यक्त किए।
होशियारपुर लिटरेरी सोसायटी की ओर से सरकारी कॉलेज में आयोजित समारोह दौरान दमन सिंह ने बताया कि उनके पिता के रोल मॉडल उनके स्कूल, कालेज व यूनिवर्सिटी के अध्यापक ही रहे हैं। वे अकसर उनके बारे में चर्चा करते हुए कहते हैं कि वे जो भी हैं, अपने अध्यापकों के कारण हैं। इस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन के उतार-चढ़ाव पर विस्तार से चर्चा की।
होशियारपुर लिटरेरी सोसायटी की ओर से आयोजित समारोह दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री दमन सिंह गणमान्य सदस्यों के साथ।
दमन ने कहा कि उन्होंने अपने पिता के करियर को लेकर काफी कुछ इस पुस्तक के माध्यम से बताया है। पुस्तक में पिता के अकादमिक, राजनीतिक व प्रशासनिक जिंदगी के बारे में भी विस्तार से लिखा है। मैंने किताब में जितना पिता के व्यक्तित्व के बारे में लिखा है उतना ही माता के बारे में भी बताया है। समारोह में प्रदेश सूचना कमिश्नर खुशवंत सिंह ने भी किताब पर लेखिका दमन सिंह के साथ चर्चा की।
मंदी के दौर में डॉ. मनमोहन सिंह ने नहीं आने दी देश पर कोई आंच : अरोड़ा
कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा कि होशियारपुर बहुत खुशनसीब है कि यहां से देश के पूर्व प्रधानमंत्री न सिर्फ पढ़े हैं बल्कि पढ़ाया भी है। उन्होंने कहा कि जब पूरा विश्व मंदी का मार झेल रहा था तब डा. मनमोहन सिंह ही थे जिन्होंने भारत पर आंच नहीं आने दी और पूरे विश्व में भारत को एक नई पहचान दिलाई। इस दौरान उन्होंने होशियारपुर लिटरेरी सोसायटी को 5 लाख रुपये की ग्रांट की घोषणा भी की।