सियासी दबाव में खनन माफिया पर पर्चे के नाम पर लीपापोती, जेल न भेजने का खेला खेल
अर्द्ध पहाड़ी इलाके में शुमार नाडा और नारा के समीप अवैध माइनिग का मामला उजागर होने पर नेताओं से लेकर अफसरशाही तक हाथ पांव फूल आए हैं।
हजारी लाल, होशियारपुर
अर्द्ध पहाड़ी इलाके में शुमार नाडा और नारा के समीप अवैध माइनिग का मामला उजागर होने पर नेताओं से लेकर अफसरशाही तक हाथ पांव फूल आए हैं, लेकिन सियासी दबाव में खनन माफिया पर पर्चा दर्ज करने में लीपापोती की गई है। माफिया को जेल न भेजने का खेल खेला गया है, क्योंकि आमतौर पर अवैध खनन करने पर माफिया के खिलाफ माइनिग एक्ट के तहत एक ट्रॉली मिट्टी पकड़ने पर चोरी करने का भी मामला दर्ज किया जाता है। यहां तो चालीस किले से ज्यादा जमीन में खनन हो गया है, लेकिन सदर पुलिस की ओर से दर्ज किए गए मामले में कमजोर धारा का इस्तेमाल किया गया है। चोरी की धारा नहीं जोड़ी गई है। ऐसा हथकंडा इसलिए अपनाया गया है, ताकि खनन माफिया सलाखों में जाने से बच सके। कमजोर धारा का इस्तेमाल करने पर पुलिस माइनिग विभाग पर ठीकरा फोड़ देती है और माइनिग विभाग पुलिस के पाले में गेंद फेंक देती है। डाडा और नारा इलाके में बड़े स्तर पर माइनिग करके करीबन 40 किले जमीन का सीना छलनी कर दिया गया है। खनन करके सरकार को भी ढाई करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है। खनन का गोरखधंधा काफी समय से चल रहा है। अवैध माइनिग करने के आरोप में दो दर्जन जमीन मालिकों पर मामला दर्ज करके प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ली है।
जमीन मालिकों पर पर्चा तो दर्ज कर लिया गया है, लेकिन जिन राजनीतिक आशीर्वाद प्राप्त जिन खनन माफिया ने इतने बड़े खनन को अंजाम दिया है, उन पर शिकंजा कसना जरुरी नहीं समझा जा रहा है। और तो और दर्ज किए गए पर्चे पर भी सियासी आशीर्वाद से लीपापोती की गई है। आम तौर पर प्रशासन की ओर से दर्ज किए गए मामले में माइनिग एक्ट के साथ-साथ मिट्टी चोरी का भी मामला दर्ज किया जाता है, लेकिन इस बड़े मामले में ऐसा नहीं किया गया है।
नारा और डाडा के समीप करीबन चालीस किले जमीन में खनन माफिया ने 25 से 30 गहरा खड्ड बना दिया है। इस आरोप में दो दर्जन जमीन मालिकों पर मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी सिर्फ नारा के कांग्रेस सरपंच मनीष उर्फ लकी हुई है। आखों में धूल झोंकने के लिए लगाई गई हलकी धारा
एक मुलाजिम ने नाम न छापने की शर्त बताया कि चूंकि खनन माफिया सत्ता पक्ष और भाजपा के संबंधित हैं। इसलिए एक पावरफुल नेता का इन पर राजनीतिक आशीर्वाद प्राप्त होने के चलते नजरों में धूल झोंकने के लिए हलका सा मामला दर्ज कर लिया गया है। अब आगे, जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है। खनन से करोड़ों रुपये डकारने वाले सियासी खनन माफिया को बचाने का दबाव है। इसी वजह से न अभी तक जांच आगे बढ़ाई जा रही है और न ही खनन को अंजाम देने में प्रयोग किए गए टिप्पर व ट्रालियों की ही बरामदगी गई है। जबकि पुलिस को सारी सच्चाई पता है कि खनन करने वाले खनन माफिया कौन हैं। उन्होंने ट्रालियां और टिप्पर कहां छिपा रखे हैं। खास निर्देश के तहत मामला को दबाने की कवायद की जा रही है। धारा लगाना पुलिस का काम: एक्सईएन
खनन विभाग के एक्सईएन सुखविदर सिंह कलसी ने कहा कि विभाग के पास स्टाफ न होने से खनन नहीं रुक रहा है। जब उनसे पूछा गया है कि दर्ज किए गए पर्चे में हलकी धारा का प्रयोग किया गया है तो उनका जवाब था विभाग ने पर्चे के लिए लिखकर दे दिया था। कौन सी धारा लगाना है और कौन सी नहीं, यह देखना पुलिस का काम है। माइनिग अफसर के बयान पर दर्ज किया गया मामला: एसएचओ
थाना सदर के एसएचओ गगनदीप सिंह सेखों ने कहा कि माइनिग विभाग के अफसर की शिकायत में मामला दर्ज किया गया है। दिए गए बयान के मुताबिक ही पुलिस ने मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अपने तौर पर कोई धारा कैसे जोड़ देगी।