प्रदेश सरकार की उदासीनता से हवा में लटका रेलवे फाटक का फ्लाईओवर
प्रदेश सरकार की उदासीनता से हवा में लटका रेलवे फाटक का फ्लाईओवर लोकसभा चुनाव से पहले होशियारपुर-फगवाड़ा रोड के रेलवे फाटक पर फ्लाईओवर बनाने का नींवपत्थर रखकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने शहरवासियों में उम्मीदों की किरण जगाई थी।
हजारी लाल, होशियारपुर
प्रदेश सरकार की उदासीनता से हवा में लटका रेलवे फाटक का फ्लाईओवर लोकसभा चुनाव से पहले होशियारपुर-फगवाड़ा रोड के रेलवे फाटक पर फ्लाईओवर बनाने का नींवपत्थर रखकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह ने शहरवासियों में उम्मीदों की किरण जगाई थी। लोगों ने सोचा था कि फ्लाइओवर बनने से उन्हें जाम के झमेले से छुटकारा मिल जाएगा, मगर शहवासियों के यह हसीन सपने रेत के महल की तरह धराशाही हो गए। क्योंकि लगभग सात माह बाद भी नींवपत्थर रखने के बाद फ्लाईओवर का निर्माण शुरू नहीं हो सका। करीबन 82 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस फ्लाईओवर को केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने मिलकर बनाना है। मालूम पड़ा है कि केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की पहली किश्त भेज दी है, लेकिन राज्य सरकार फंड न होने से अपने हिस्से की किश्त नहीं भेज रही है। इस वजह से फ्लाईओवर का काम खटाई में पड़ा है। अब भी यह नहीं मालूम है कि राज्य सरकार कब किश्त जारी करेगी और इसके निर्माणकार्य का द्वार कब खुलेगा।
आम जनता के साथ-साथ व्यापारी व विद्यार्थियों को झेलनी पड़ती है मुसीबत
दिन में बार-बार बंद होने वाले रेलवे फाटक का दंश होशियारपुर की आम जनता के अलावा व्यापारी, मरीज, विद्यार्थी और दुकानदार खूब झेलते हैं। चाहे रेलवे फाटक के इस पार के बाशिदे हों या फिर उस पार के बंद फाटक हर किसी को सताता है। इस श्रेणी में आढ़ती और सब्जी विक्रेता भी खूब परेशान होते हैं। रहीमपुर में बनाई गई सब्जी मंडी रेलवे फाटक के दूसरी तरफ है और आढ़त का काम करने वाले ज्यादा आढ़ती शहर के पुराने इलाके से ही संबंध रखते हैं। इसके अलावा सब्जी विक्रेता भी सब्जी खरीद कर शहर में बेचने के लिए भी अकसर आते जाते रहते हैं। इन लोगों को अकसर बंद फाटक सताता है और तो और रेलवे फाटक के उस पार ही एसडी कॉलेज भी है। काफी संख्या में यहां पर विद्यार्थी पढ़ने आते हैं। स्टूडेंट के आते-जाते समय बंद फाटक अकसर पसीना छुड़ाता नजर आता है। सबसे जटिल समस्या तो मरीजों को अस्पतालों में रेफर करते समय होती है। उसी तरफ, आधा दर्जन से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल हैं। जब मरीजों को सरकारी अस्पताल होशियारपुर से रेफर किया जाता है, तो अकसर फाटक बंद मिलता है। ऐसे में मरीजों को भी फाटक खुलने का इंतजार करना पड़ता है। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल रेलवे मंडी में काफी संख्या में लड़कियां पढ़ने के लिए आती हैं। अकसर देखने को मिलता है कि बंद फाटक उनकी परेशानी बढ़ाता नजर आता है।
बंद फाटक से बीमारों को होती है ज्यादा परेशानी
शहर निवासी राम प्रकाश ने बताया कि पिछले दिनों उनका बेटा बीमार हो गया था। वह कार में लेकर अपने बेटे को सरकारी अस्पताल जा रहे थे। लेकिन फाटक पर पहुंचे तो वह बंद था। उन्हें बीस मिनट तक वहां पर इंतजार करना पड़ा। यह कोई अकेले राम प्रकाश नहीं, न जाने कितने ऐसे राम प्रकाश हैं, जो बंद फाटक की वजह से परेशान होते हैं और उनके मरीज दर्द से तड़पते हुए फाटक खुलने का इंतजार करते हैं। कुल मिलाकर फाटक बंद होने की सूरत में शहर दो भागो में बंट जाता है। इस वजह से संतोख नगर, विजय नगर, रहीमपुर, माउंट ऐवेन्यू, सुंदर नगर इत्यादि के लोग परेशान हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें छोटे-छोटे काम के लिए शहर आना पड़ता है। ऐसे में उन्हें अकसर बंद फाटक हर मौसम में पसीना छुड़ाने का काम करता है। - जालंधर से होशियारपुर आने वाली ट्रेनों की वजह से कब-कब बंद होता है फाटक
सुबह 4-35 बजे
सुबह 5.20 बजे
सुबह 7.45 बजे
सुबह 11.30 बजे
दोपहर 2.35 बजे
शाम 5.30 बजे
रात 8.10 बजे
रात 10.45 बजे
होशियारपुर से जालंधर आने वाली ट्रेनों की वजह से कब-कब बंद होता है फाटक
सुबह 4.50 बजे
सुबह 7.55 बजे
दोपहर 12 बजे
दोपहर 2.45 बजे
शाम 5.35 बजे
रात 8.20 बजे
रात 10.10 बजे।
- ज्यादा परेशान लोग क्या करते हैं
बंद फाटक से परेशान लोग ज्यादा परेशानी की सूरत में रेलवे स्टेशन से घूमते हुए सेशन चौक पर पहुंचते हैं। उसके बाद वह सुतहैरी रोड से होते हुए फिर से सरकारी कॉलेज पहुंचते हैं। इस चक्कर में उन्हें दो किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर काटना पड़ता है।