चार सप्ताह का दावा किया था, साढ़े तीन साल बाद भी नहीं लगी लगाम
होशियारपुर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने जनता से वादा किया था कि प्रदेश में सरकार बनने पर चार सप्ताह में नशे का खात्मा हो जाएगा मगर दुखद पहलू यह है कि साढ़े तीन साल का कार्यकाल बीत जाने के बाद नशे के सौदागरों पर लगाम नहीं कसी जा सकी है।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने जनता से वादा किया था कि प्रदेश में सरकार बनने पर चार सप्ताह में नशे का खात्मा हो जाएगा, मगर दुखद पहलू यह है कि साढ़े तीन साल का कार्यकाल बीत जाने के बाद नशे के सौदागरों पर लगाम नहीं कसी जा सकी है। पुलिस भी कार्रवाई के नाम पर छोटे-मोटे सप्लायरों का पकड़ कर जेल का रास्ता दिखाकर अपनी पीठ थपथपा लेती है, मगर बड़े तस्कर नायाब हथकंडे से नशीले पदार्थों की अब भी सप्लाई कर रहे हैं। नशे के दलदल में धंसे युवकों को नशे के सौदागर कोड वर्ड से नशीले पदार्थो की सप्लाई करते हैं। पहले कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान इसमें थोड़ी कमी आई थी, पर अब नशे की सप्लाई फिर से धड़ल्ले से शुरू हो चुकी है। पड़ताल करने पर मालूम पड़ा है कि नशीला पदार्थ (चिट्टा) एक ग्राम तीन से चार हजार रुपये में मिल रहा है। इसका कोर्ड वर्ड ग्रामी होता है। आधा ग्राम को कैपरी का कोड वर्ड दिया गया है। यह दो से तीन हजार में मिल जाता है। अगर एक खुराक मंगानी है तो उसे बिट कहा जाता है। इसके बदले में एक हजार से पंद्रह सौ रुपये देने पड़ते हैं। नशे के सौदागार खुद बाहर नहीं निकलते हैं और नशेड़ी लड़कों से ही सारा सामान सप्लाई करवाते हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग की मानें तो 17 से 30 साल तक के युवा चिट्टा का प्रयोग ज्यादा करते हैं। युवाओं को फंसाते हैं नशे के सौदागर अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए नशे के सौदागर युवाओं को फंसाते हैं। शुरुआती दौर में उन्हें नशे की लत लगाई जाती है। बाद में आलम यह होता है कि युवा पीढ़ी नशे की गुलाम होकर उनके इशारों पर नाचती है। वर्तमान समय में जिले में तकरीबन दो हजार युवक नशे के चक्रव्यूह में फंसे हुए हैं। युवाओं को नशीले पाउडर ने ऐसा जकड़ा है कि वह छूटने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे युवाओं की आयु 17 से लेकर 30 साल के बीच में है। नशे में फंसे कुछ युवक बताते हैं कि सप्लायरों ने नशीले पदार्थों की सप्लाई करने के लिए कोड वर्ड रखे हैं।