डा. राज ने 45 साल बाद चुनाव जीत कांग्रेस की झोली में डाली थी चब्बेवाल विस सीट
विधानसभा सीट चब्बेवाल पहले माहिलपुर में शुमार था। इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल हावी रहा है। हालाकि बीच में कांग्रेस कब्जा कर लेती थी। पंद्रह साल पहले माहिलपुर को खत्म करके विधानसभा सीट चब्बेवाल बनी थी।
हजारी लाल, होशियारपुर : विधानसभा सीट चब्बेवाल पहले माहिलपुर में शुमार था। इस सीट पर शिरोमणि अकाली दल हावी रहा है। हालाकि बीच में कांग्रेस कब्जा कर लेती थी। पंद्रह साल पहले माहिलपुर को खत्म करके विधानसभा सीट चब्बेवाल बनी थी। विधानसभा माहिलपुर थी तो अकाली दल ने अपना ऐसा झंडा गाड़ा था कि उसे उखाड़ फेंकना कांग्रेस के बस की बात नहीं थी, मगर डाक्टरी पेशे के साथ राजनीति में हाथ आजमाने वाले डा. राज कुमार ने ऐसी सियासी जमीन तैयार की कि फिर से यह सीट कांग्रेस की झोली में लाकर डाल दी। कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में 45 साल बाद जीत नसीब हुई थी। यह हाथ के लिए एतिहासिक पल था। इस सीट पर टकसाली कांग्रेसी चौ. गुरमेल सिंह सन 1962 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे। उसके बाद वह फिर दो बार चुनाव जीते। सन 1969 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के करतार सिंह ने कांग्रेस के गुरमेल सिंह को हरा दिया था। सन 1972 में गुरमेल ने फिर करतार सिंह को हरा दिया था। सन 1977 के चुनाव में करतार ने फिर गुरमेल सिंह को हरा दिया था। सन 1980 के विधानसभा चुनाव में फिर शिअद के करतार सिंह चुनाव जीते। सन 1985 में फिर से यह सीट शिअद की झोली में रही। सन 1992 में इस सीट पर हाथी आगे निकला और अवतार सिंह करीमपुर चुनाव जीत गए थे। सन 1997 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल बादल ने सोहन सिंह ठंडल को अपना उम्मीदवार बनाया। ठंडल ने बसपा के करीमपुरी को हरा दिया था। इसके बाद सन 2002 के विधानसभा चुनाव में फिर ठंडल ने बसपा के करीमपुरी को हराया था। सन 2007 में माहिलपुर को खत्म करके विधानसभा चब्बेवाल बन गया। इस चुनाव में शिअद के ठंडल ने कांग्रेस के डा. दिलबाग राय को हरा दिया। यह जीत ठंडल की हैट्रिक थी।
इसी बीच, सन 2009 के डाक्टरी पेशे से जुड़े डा. राज कुमार ने राजनीति में हाथ आजमाना शुरू किया। नरम स्वभाव के डा. राज कुमार ने चब्बेवाल में अपनी सियासी जमीन तैयार करनी शुरू की। उनकी मेहनत को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने सन 2012 के विधानसभा चुनाव में डा. राज कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया। डा. राज को टिकट मिलने से डा. दिलबाग राय बागी होकर आजाद ताल ठोंक दी। कांग्रेस के डा. राज का मुकाबला शिरोमणि अकाली दल बादल के सोहन सिंह ठंडल से हुआ। चूंकि डा. दिलबाग राय बागी थे, इसलिए डा. राज को इसका खामियाजा चुनाव मैदान में भुगतना पड़ा और वह ठंडल से तकरीबन पांच हजार वोटों के अंतर से हार गए थे।
हार के बावजूद डा. राज कांग्रेस के हाथ के सहारे अपनी राजनीतिक फसल में पानी लगाने का काम करते रहे। इसी बीच, डा. दिलबाग राय ने कांग्रेस का हाथ छोड़ कर भाजपा का कमल थाम लिया था। सन 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के डा. राज कुमार का मुकाबला फिर से शिअद के सोहन सिंह ठंडल के साथ हुआ। करीबन 45 साल डा. राज ने यह सीट रिकार्डतोड़ मतों से जीत कर कांग्रेस की झोली में डाल दी।
डा. राज कुमार फिर से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उनका मुद्दा विकास ही है। पांच साल करवाए गए विकास का हवाला देकर वह जनता के बीच में हैं। उधर, शिअद से सोहन सिंह ठंडल ही उम्मीदवार हैं। आप ने यहां पर हरिदर सिंह संधू और भाजपा ने डा. दिलबाग राय को चुनाव मैदान में उतारा है। देखना है कि पिछले रिकार्ड को डा. राज कायम रख पाते हैं या फिर ठंडल वापसी करते हैं अथवा कोई और करिश्मा होगा।