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विधानसभा सीट शामचौरासी से देस राज धुग्गा भी ठोंकेगे ताल

बसपा से राजनीति की शुरूआत करने वाले पूर्व विधायक देस राज धुग्गा अब शामचौरासी से चुनावी ताल ठोकेंगे। विधानसभा गढ़दीवाला टूटने के बाद सन 2012 में धुग्गा ने श्री हरगोविदपुर से चुनाव लड़ा था। वह जीते भी थे। लेकिन सन 2017 के चुनाव में शिअद ने उनकी टिकट पर कैंची चला दी थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 10:42 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:42 PM (IST)
विधानसभा सीट शामचौरासी से देस राज धुग्गा भी ठोंकेगे ताल
विधानसभा सीट शामचौरासी से देस राज धुग्गा भी ठोंकेगे ताल

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : बसपा से राजनीति की शुरूआत करने वाले पूर्व विधायक देस राज धुग्गा अब शामचौरासी से चुनावी ताल ठोकेंगे। विधानसभा गढ़दीवाला टूटने के बाद सन 2012 में धुग्गा ने श्री हरगोविदपुर से चुनाव लड़ा था। वह जीते भी थे। लेकिन सन 2017 के चुनाव में शिअद ने उनकी टिकट पर कैंची चला दी थी। इससे धुग्गा की शिअद से रिश्ते में खटास आ गई और उन्होंने शिअद संयुक्त ज्वाइन कर ली।

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बता दें कि धुग्गा ने करीबन 23 साल पहले बसपा से राजनीतिक सफर शुरू किया था। सन 1998 के आसपास धुग्गा ने शिरोमणि अकाली दल ज्वाइन किया था। सन 2002 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल बादल ने धुग्गा को गढ़दीवाला से टिकट दी थी। चुनाव में धुग्गा ने कांग्रेस उम्मीदवार पवन आदिया को हरा दिया था। सन 2007 में फिर से धुग्गा अकाली दल की टिकट से चुनाव लड़े। इस बार उनका सामना कांग्रेस के जसवीर सिंह पाल से हुआ। धुग्गा फिर विजयी हुए। सन 2008 में विधानसभा गढ़दीवाला टूट गया था। इसके बाद धुग्गा ने नई सियासी जमीन तलाशनी शुरू की थी। धुग्गा के राजनीतिक कद को देखते हुए शिअद ने सन 2012 के चुनाव में उन्हें श्री हरगोविदपुर से उतारा। धुग्गा फिर विजयी रहे। सन 2017 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल ने धुग्गा की टिकट काट दी। इससे उनकी शिअद के नाराजगी बढ़ी और उन्होंने शिअद यूनाइटेड का दामन थाम लिया। भाजपा, पीएलसी और शिअद संयुक्त के साथ हुए गठबंधन में धुग्गा को फिर शामचौरासी से उम्मीदवार घोषित किया गया है। 20 साल बाद फिर आमने-सामने होंगे आदिया और धुग्गा

कांग्रेस उम्मीदवार पवन आदिया और शिअद संयुक्त के उम्मीदवार देस राज धुग्गा फिर से बीस साल बाद आमने-सामने होंगे। इससे पहले गढ़दीवाला विधानसभा सीट से यह दोनों सन 2002 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक युद्ध किया था, लेकिन विजयी मोर्चा धुग्गा ने मारा था। लेकिन अब राजनीतिक परिस्थितियां कुछ अलग तरह की हैं। क्योंकि पहले सीधा मुकाबला होता था, लेकिन अब मैदान में आप और शिअद-बसपा गठबंधन भी है।


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