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करोड़ों खर्च कर बनाए गए सुविधा सेंटर, फिर भी नहीं कोई सुविधा

वैसे तो सरकारें लोगों को सुविधा देने के लिए समय-समय पर नई पालिसियां तैयार करती रहती हैं लेकिन आज तक कितनी सफल रहीं यह किसी से छिपा नहीं है। इसकी ताजा मिसाल इलाके में सरकार द्वारा बनाए गए सुविधा सेंटर हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 05:42 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 08:25 AM (IST)
करोड़ों खर्च कर बनाए गए सुविधा सेंटर, फिर भी नहीं कोई सुविधा
करोड़ों खर्च कर बनाए गए सुविधा सेंटर, फिर भी नहीं कोई सुविधा

नीरज शर्मा, होशियारपुर

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वैसे तो सरकारें लोगों को सुविधा देने के लिए समय-समय पर नई पालिसियां तैयार करती रहती हैं, लेकिन आज तक कितनी सफल रहीं यह किसी से छिपा नहीं है। इसकी ताजा मिसाल इलाके में सरकार द्वारा बनाए गए सुविधा सेंटर हैं। सुविधा सेंटर बनाए तो गए थे बड़ी उम्मीद से पर यह प्लान भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। या यूं कहें कि राजनीति की भेंट चढ़ गया। सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए अलग-अलग इलाकों में सुविधा सेंटर बनाए थे ताकि लोगों के सभी सरकारी कार्य आराम से हो सकें और दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें। इन सेंटरों को बनाने के लिए करोड़ों खर्च किए गए, पर अफसोस सुविधा सेंटरों की बनी इमारतें अनदेखी का शिकार होकर खंडहर बन रही हैं। कुछ इमारतें तो नशेड़ियों का अड्डा बन चुकी हैं।

समय व पैसों की बर्बादी

सरकार का प्लान था कि सुविधा सेंटरों में सारा काम शिफ्ट किया जाएगा और जो लोग सरकारी दफ्तरों में काम करवाने के लिए नहीं जा सकते उन्हें सेंटर में ही फाइल जमा करवानी होगी और तय समयसीमा में कर्मचारी काम करवाएंगे। यदि कोई कमी पेशी है तो सीधा व्यक्ति को पहले ही स्टेप वाइस बता दिया जाएगा ताकि अंत में परेशान न हो। जिस हिसाब से युद्ध स्तर पर इलाके में सुविधा सेंटर बनाए गए, करोड़ों रुपए खर्च किए, इंफ्रास्ट्रचर खड़ा किया गया वह केवल पैसे व समय की बर्बादी के सिवाए कुछ नहीं निकला। इन सुविधा सेंटरों में एक भी दिन काम नहीं हुआ। जहां काम हो भी रहा था वह बंद कर दिया गया।

उद्देश्य पूरा करने से पहले ही हांफ गई योजना

सरकार ने हरेक जिले में गांव स्तर व कुछ मोहल्लों की सीमा निर्धारित करके सुविधा सेंटर बनाए थे। इस योजना का फायदा यह था कि एक तो सरकारी दफ्तरों में भीड़ कम होगी, काम आराम से होगा और दूसरी ओर, लोगों को घर से अधिक दूर नहीं जाना होगा। लेकिन यह इमारतें अब खंडहर बन रही हैं। कुछ इमारतों में पड़ा सामान तो चोरों के हाथ चढ़ गया और कुछ समय के साथ-साथ बर्बाद हो गया है। बाकी बची इमारतें अब नशेड़ियों का अड्डा बनकर रह गई हैं। हर शाम को नशेड़ियों की महफिलें इन इमारतों में लगती हैं।

विभागों को किए जा रहे हेंडओवर : एडीसी

इस संबंध में एडीसी अमित पांचाल के साथ बात की गई तो उन्होंने कहा, सरकार की एक पालिसी आई थी कि जिस भी विभाग को यह सेंटर चाहिए वह उन्हें हेंडओवर कर दिए जाएंगे। इसके चलते कुछ किए भी गए हैं। यदि कुछ नहीं हेंड ओवर हुए उनकी जांच करवाई जाएगी।


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