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केंद्र के खिलाफ धरने में सभी विधायक व नेता जुटे, पर वर्कर नहीं

केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को मिनी सचिवालय के समक्ष कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के विधानसभा क्षेत्र में जिला स्तर पर कांग्रेसियों ने धरना दिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 11:55 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:12 AM (IST)
केंद्र के खिलाफ धरने में सभी विधायक व नेता जुटे, पर वर्कर नहीं
केंद्र के खिलाफ धरने में सभी विधायक व नेता जुटे, पर वर्कर नहीं

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ शुक्रवार को मिनी सचिवालय के समक्ष कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के विधानसभा क्षेत्र में जिला स्तर पर कांग्रेसियों ने धरना दिया। जिले के एक मंत्री, पांच विधायक और एक पूर्व विधायक के इलाके से आए कांग्रेसियों के बावजूद पंडाल खाली रहा। जमीन पर बिछाई दरियां कांग्रेसियों के आने का इंतजार करती रहीं, मगर वे नहीं आए।

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कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा धरने में विशेष तौर पर पहुंचे थे, लेकिन गिने-चुने वर्करों ने उनका भी उत्साह कम कर दिया। क्योंकि राज्य में सत्ता होने से जिस हिसाब से हुजूम उमड़ना चाहिए था, वैसा कुछ दिखा ही नहीं। यूं कहें कि कोसने आए थे केंद्र सरकार की नीतियों को, मगर धरने में कांग्रेसियों के हुजूम को न देखकर खुद को कोसते हुए चले गए। खुद को कदावर नेता कहने वाले कांग्रेसियों में वर्करों की कमी का दर्द भी छलकता दिखा।

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विधायक गिलजियां ने कह दिया लोग कम हैं

मंच पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह के राजनीतिक सलाहकार व हलका टांडा के विधायक संगत सिंह गिलजियां ने धरने में जनसमूह की कमी की बात भी कह दी। हालांकि बाद में उन्होंने यह कह कर बात को टाल दिया कि यह धरना कांग्रेस के पदाधिकारियों का था लेकिन कहीं न कहीं मौके पर मौजूद पार्टी के नेताओं के पास जन समूह की कमी लेकर उठे सवालों का जवाब नहीं था।

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जिला स्तर का धरना, तीन सौ वर्कर भी नहीं जुटे

नेताओं व विधायकों को छोड़कर धरने में कुल मिलाकर 280 के करीब लोग ही एकत्रित हुए। धरना समाप्त होते होते यह जिला स्तरीय धरने पर कांग्रेस के नेता यह कहने को मजबूर हो गए कि यह धरना केवल नेताओं व अन्य पदाधिकारियों का था। यानी अपने धरने की असफलता को छुपाने के लिए वह लीपापोती में जुटे रहे। धरने के अंत में समूह विधायकों ने एडीसी हरप्रीत सिंह सूदन को ज्ञापन सौंपा। दो दिन पहले की गई थी धरने की घोषणा

13 नवंबर को जिला कांग्रेस दफ्तर में कांग्रेस में जिला अध्यक्ष डॉ. कुलदीप नंदा की अगुआई में एक विशेष बैठक की गई थी। इसमें फैसला लिया था कि केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जिला कांग्रेस की तरफ से धरना लगाया जाएगा, जिसमें पूरे जिले से कांग्रेस नेता व वर्कर पहुंचेंगे। सभी विधायक पहुंचे, नेता भी पहुंचे पर नहीं पहुंचा आम वर्कर

कहने को तो यह धरना जिला स्तरीय था लेकिन यदि धरना स्थल व धरने में मौजूद वर्करों की संख्या को देखा जाए तो यह धरना नुक्कड़ मीटिग से अधिक नहीं था। धरने में आम वर्करों की संख्या इतनी कम होना अपने आप में कई सवाल खड़े कर जाता है। जिला कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. कुलदीप नंदा ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह धरना केवल नेताओं व पदाधिकारियों का था। और सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि यह धरना पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा के हलके में था और कहीं न कहीं यह उनकी प्रतिष्ठा का सवाल भी था। -

इन्होंने दर्ज करवाई मौजूदगी

कांग्रेस के जिला अध्यक्ष डॉ. कुलदीप नंदा, कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा, टांडा के विधायक संगत सिंह गिलजियां, विधायक डॉ. राज कुमार चब्बेवाल, विधायक हलका शाम चौरासी पवन कुमार आदिया, हलका दसूहा के विधायक अरुण कुमार मिक्की डोगरा, हलका मुकेरियां की विधायक इंदू बाला, पूर्व विधायक गढ़शंकर लव कुमार गोल्डी, इंप्रूवमैंट ट्रस्ट से चेयरमैन एडवोकेट राकेश मरवाहा, महिला कांग्रेस से तरुणजीत सेठी, पार्षद सुरिदर पाल सिद्धू, हरीश आनंद, पार्षद स्वर्ण सिंह, महासचिव रजनीश टंडन, सुमेश सोनी, विश्वनाथ बंटी, पार्षद रंभा सेठी, पार्षद बलविदर बिदी, अशोक मेहरा, शादी लाल, मनमोहन कपूर, दीप भट्टी, सुमन तलवाड़, रमेश डडवाल, पार्षद रजनी डडवाल, कृष्णा सैनी, पार्षद एचएस हुंदल, हरवेल सैनी, मेजर सिंह, अश्वनी शर्मा, तरसेम मिन्हास आदि मौजूद रहे।


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