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चुनावी रण में काग्रेस पर भारी पड़ी अपनों की गद्दारी

लोकसभा के चुनावी समर में होशियारपुर सीट पर काग्रेस पार्टी पर अपनों की गद्दारी भारी पड़ गई है। इसी वजह से पिछले दस साल से होशियारपुर सीट पर विजय फहरा रही काग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 10:59 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 10:59 PM (IST)
चुनावी रण में काग्रेस पर भारी पड़ी अपनों की गद्दारी
चुनावी रण में काग्रेस पर भारी पड़ी अपनों की गद्दारी

जागरण संवाददाता, होशियारपुर : लोकसभा के चुनावी समर में होशियारपुर सीट पर काग्रेस पार्टी पर अपनों की गद्दारी भारी पड़ गई है। इसी वजह से पिछले दस साल से होशियारपुर सीट पर विजय फहरा रही काग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। यह भाजपा के लिए सुखद पहलू है और काग्रेस के लिए दुखद। क्योंकि दस साल बाद भाजपा यहा से काग्रेस को पछाड़ने में कामयाब हुई है। इस सीट से करारी हार मिलने के बाद काग्रेस मंथन में जुट गई है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो काग्रेस के हाथ को कमजोर करने में कुछ मौजूदा काग्रेस पार्षदों और पूर्व पार्षदों ने भीतरघात करते हुए काग्रेस के चुनावी गणित का खेल खराब करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। एक काग्रेस पार्षद दिखावे के लिए काग्रेस के साथ चलता रहा और अंदरखाते उसने वोटें हाथी को डलवाने में अहम भूमिका अदा की। हाथी के प्रति उमड़े प्रेम ने काग्रेस को कमजोर करने का काम किया है। उसके राजनीतिक हथकंडे के बारे में अब तो पार्टी हाईकमान को भी मालूम पड़ने लगा है। इसके अलावा एक पूर्व पार्षद दिखावे के लिए हाथ के साथ चलता रहा, लेकिन अंदरखाते वह फूल को खिलाने में लगा रहा। उसने भी पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाने का काम किया है। इसी तरह से दो अन्य पार्षदों ने भी काग्रेस के एक बड़े नेता से रुष्ट होने की वजह से हाथ की बजाय कमल के फूल का साथ देने का काम किया। अंदरखाते भाजपा का साथ देने का किया काम

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राजनीतिक सूत्रों की मानें तो नाराजगी के चलते और भी कुछ काग्रेस पार्षद, कुछ पूर्व काग्रेस पार्षदों के अलावा कुछ ओहदेदारों ने अंदरखाते भाजपा का साथ देने का काम किया है। यही सबसे बड़ा कारण रहा है कि काग्रेस होशियारपुर विधानसभा सीट में खास करके शहरी इलाके में औंधे मुंह गिर गई। अब काग्रेसियों की ओर से किए जा रहे मंथन में बात निकलकर सामने आने लगी है कि भीतरघात हुई है। डॉ. राज को भुगतना पड़ा नतीजा

बता दें कि काग्रेस के कुछ पार्षद और कुछ पूर्व पार्षदों के अलावा कुछ नेताओं की अंदरखाते पार्टी से नाराजगी चल रही है। इसलिए लोकसभा चुनाव में उन्होंने काग्रेस को सबक सिखाने के लिए उलटा दाव भरना शुरू कर दिया था। भले ही उनकी नाराजगी किसी और से थी, लेकिन इसका सारा खामियाजा काग्रेस उम्मीदवार डॉ. राज कुमार को भुगतना पड़ गया। दगाबाजी करने वाले नेताओं की निगम चुनाव में कटेगी टिकट

दगाबाजी करने वाले काग्रेस नेताओं की पार्टी ने कुंडली तैयार करनी शुरू कर दी है। ऐसे नेताओं की आने वाले नगर निगम होशियारपुर के चुनाव में टिकट कटनी तय है और कुछ काग्रेसी नेताओं को तो पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। ऐसे नेताओं की जिला स्तर पर सूची तैयार की जाएगी। तथ्य जुटाए जाएंगे। इसके बाद हाईकमान के ध्यान में लाने के बाद ऐसे नेताओं के साथ सख्ती से निपटने का ताना-बाना तैयार किया जा रहा है। इसमें थोड़ा वक्त भले लग सकता है, मगर राजनीतिक विस्फोट होना तय है। क्योंकि आला नेताओं का मानना है कि ऐसे नेता पार्टी के लिए भविष्य में खतरे की घटी साबित हो सकते हैं, इसलिए इनसे समय रहते निपट लिया जाए तो बहुत अच्छा रहेगा।

हार के बाद मंथन पर जुटी काग्रेस

लोकसभा होशियारपुर सीट से हारने के बाद काग्रेस आत्ममंथन करने पर जुट गई है। क्योंकि लोकसभा के अधीन आते नौ विधानसभा में से सात एमएलए काग्रेस के होने के बावजूद काग्रेस की हार से बड़ा झटका लगा है। विधानसभा हारे काग्रेसी विधायकों ने समर्थकों के साथ आत्ममंथन शुरू कर दिया है कि वह आखिरकार हारे क्यों? सबसे ज्यादा चिंताजनक पहलू मुकेरिया सीट को लेकर है। उसके बाद दसूहा फिर होशियारपुर। इन्हीं तीन सीटों ने काग्रेस की लुटिया डुबाने का काम किया है।

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