सावधान! सिविल अस्पताल में दाखिल होना है तो कंबल व चादर साथ लाएं
सरकार चाहे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छुपी नहीं है। अस्पताल में मरीजों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाती।
सतीश कुमार, होशियारपुर : सरकार चाहे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छुपी नहीं है। अस्पताल में मरीजों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाती। यदि बात की जाए तो कड़ाके की पड़ रही सर्दी में मरीजों को अस्पताल प्रबंधन द्वारा कंबल ही नहीं दिए जाते। लोग अस्पताल में अपने घर से कंबल लाने के लिए मजबूर हैं। यदि कंबल हैं भी तो वह फटे हाल है। जो नए कंबल हैं वह केवल चेकिग के दौरान ही निकाले जाते हैं या फिर उनको दिए जाते हैं जो कोई अपना खास हो। वहीं यदि मौसम विभाग की बात करें तो विभाग ने इस बार पहले से अधिक सर्दी होने की बात की है। पर अस्पताल में कोई सुविधा नहीं है। कुल मिलाकर जो दावे हैं वह जमीनी हकीकत पर जीरो हो जाते हैं।
फोटो 01 : राजेश कुमार
कंबल व चादर की सुविधा केवल नाम की : राजेश
राजेश कुमार निवासी दसूहा हादसे में टांग में जख्मी हो गया था। वह पिछले दस दिन से सरकारी अस्पताल होशियारपुर में भर्ती है और सरकारी अस्पताल के हालात इस प्रकार के है कि पहले तो बेड पर चादरें मिलती ही नहीं हैं। अगर मिलती भी है तो इतनी ज्यादा गंदी है कि उस पर बैठना भी मुश्किल होता है। कंबल भी गंदे होते हैं। ऐसे में अपने घर से ही कंबल और चादर मंगवाया है। उनका कहना है कि दिल में यही कामना है कि सरकारी अस्पताल में कभी काम न पड़े तो अच्छा है। मगर क्या करें गरीबी के चलते कहीं और भी नहीं जा सकते हैं।
फोटो 02 : वीना रानी
कंबल व चद्दर प्रयोग के लायक नहीं : वीना
पत्थरी के आप्रेशन का इलाज करा रही गढ़शंकर के गांव बोडा़ की महिला वीना रानी से बात की तो उसने बताया कि वह सीधे ही गांव से सरकारी अस्पताल होशियारपुर चले आए थे। आते ही डाक्टर ने आप्रेशन का समय दे दिया मगर जब आप्रेशन के बाद वार्ड में शिफ्ट किया तो वहां पर पहले तो बेड पर चादर नहीं थी और रात को कंबल भी नहीं मिला। पहली रात बड़ी मुश्किल से काटी। सुबह यदि कंबल मिला भी तो वह भी गंदा। वह इतने गंदे है कि उसे ओढ़ा नहीं जा सकता है। घर से मंगवाया चद्दर व कंबल : दौलत खां
फोटो 03 : सुमन कुमारी
सड़क हादसे में घायल हुई सुमन निवासी बस्सी दौलत खां ने बताया कि वह पिछले दस दिन से सरकारी अस्पताल में भर्ती है। उसका आप्रेशन हुआ है। आप्रेशन तो बहुत बढि़या हो गया और डाक्टर भी ठीक है मगर अस्पताल में बेड पर बिस्तर और कंबल का कोई प्रबंध नहीं है। विभाग को चाहिए कि पहले ही बता दें कि अपने कंबल और चादर घर से लेकर आएं। ताकि मरीज अपना इंतजाम करके आएं क्योंकि जो कंबल और चादरें सरकारी अस्पताल में मिलते है वह प्रयोग लायक नहीं होती हैं। एसएमओ जसविदर सिंह का दावा, अस्पताल में कंबल ज्यादा व साफ सुथरे
एसएमओ जसविदर सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पताल होशियारपुर में न तो चादरों की कमी है और न ही कंबलों की। हर वार्ड के नोडल अफसर को स्पेशल ड्यूटी पर लगाया गया है कि हर बेड की चादर और कंबल हर दिन बदल दिया जाए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो मौके की स्टाफ नर्स की गलती है। अगर उनके पास ऐसी कोई भी शिकायत आए तो उसको मौके पर ही हल कर दिया जाएगा। अस्पताल में कंबल बहुत ज्यादा है और साफ सुथरे हैं।