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सरकारी स्कूल के स्टूडेंट हैं स्मार्ट, करते हैं इंग्लिश में बात

मिर्जापुर गांव में स्थित सेल्फ मेड स्मार्ट मिडल स्कूल ने एकअलग ही मिसाल पेश की है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 10:53 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 06:23 AM (IST)
सरकारी स्कूल के स्टूडेंट हैं स्मार्ट, करते हैं इंग्लिश में बात
सरकारी स्कूल के स्टूडेंट हैं स्मार्ट, करते हैं इंग्लिश में बात

सरकारी स्कूल के स्टूडेंट हैं स्मार्ट, करते हैं इंग्लिश में बात

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रजनीश गुलियानी, होशियारपुर

माई नेम इज शमशेर सिंह, माई फादर नेम इज मिस्टर सुखदेव सिंह माई डिस्ट्रिक्ट नेम होशियारपुर, आई रीड इन क्लास सिक्स्थ। ये किसी प्राइवेट स्कूल के बच्चे का परिचय नहीं, बल्कि एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का परिचय है। अक्सर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई न होने, टीचरों की कमी, मिड-डे मिल न बनने जैसी ही खबरें सामने आती हैं, लेकिन होशियारपुर जिले से करीब 16 किमी दूर के मिर्जापुर गांव में स्थित सेल्फ मेड स्मार्ट मिडल स्कूल ने एक अलग ही मिसाल पेश की है। इस स्कूल में हर वो संसाधन मौजूद हैं, जो एक अच्छे कॉन्वेंट स्कूल में होना चाहिए।

विद्यालय प्रंबधन समिति और शिक्षकों ने मिलकर बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल जैसी सुविधाएं दे रहे हैं। जब यह स्कूल खुला था तब यहां बहुत ही कम बच्चे पढ़ने आते थे। धीरे-धीरे समिति की बैठकें हुई और स्कूल में जो भी कमी थी, उसको पूरा किया गया। स्कूल के अध्यापक रविदरपाल सिंह ने बताया जब भी समिति की बैठक होती है। उसमें विद्यालय में क्या कमी है, किसमें सुधार की आवश्यकता है, इस बारे में चर्चा होती है। हाल में बारिश के कारण स्कूल की दीवार के साथ फर्श टूट गया था, तो बैठक हुई और ग्राम प्रधान के सहयोग से फर्श बनवाया गया।

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76 विद्यार्थी हासिल कर रहे शिक्षा

स्कूल देखने के बाद आप एक नजर में यह यकीन नहीं कर सकते कि यह मिडल स्कूल है। 2004 में इस स्कूल में पहले कोई भी सुविधाएं नहीं थी। विद्यालय प्रंबधन समिति के प्रयासों से स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए कुर्सी-मेज, शौचालय, हर कमरे में पंखे और फूलों की क्यारियां तैयार की गईं हैं। एक समय में जहां इस स्कूल में मात्र 42 बच्चे ही पढ़ने आते थे। वहीं अब 76 बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। मिर्जापुर स्कूल में कक्षा आठवीं में पढ़ने वाली अमनदीप बताती हैं, मुझे स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है। विद्यालय में लाइब्रेरी भी हैं, जहां छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं। लाइब्रेरी में 1000 से ज्यादा किताबें भी उपलब्ध है।

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अनुशासन में रहने के लिए किया जाता है प्रेरित

पंजाबी अध्यापक गुरमेल सिंह ने बताया कि जब भी पीटीए मीटिग होती है। हम अभिभावकों को बच्चों को समय पर स्कूल और बच्चे ड्रेस में स्कूल आएं ऐसा सिस्टम बना रखा है। वह ऐसा इसके लिए बोलते हैं क्योंकि अनुशासन होगा तभी बच्चे अच्छा कर सकेंगे। विद्यालय प्रंबधन समिति के अध्यक्ष कुलविदर कौर ने बताया कि स्कूल में एनआरआइ परिवार मनमोहन सिंह के परिवार का विशेष योगदान है। उन्हीं के नाम से सरकारी आदेशों के अनुसार स्कूल का नाम भी हेड मास्टर मनमोहन सिंह मिडल स्कूल मिर्जापुर रखा है।

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रुचि के अनुसार पढ़ाई का स्वरूप

स्कूल में बच्चों की रुचि के अनुसार पढ़ाई का स्वरूप तय किया जाता है। बच्चों का स्कूल में ठहराव रहे इसके लिए खेल-खेल में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा बैडमिंटन, वॉलीबॉल, कैरम बोर्ड, क्रिकेट और शतरंज आदि खेलें करवाई जाती हैं। बच्चों को जमीन पर नहीं बल्कि डाइनिग टेबल पर भोजन करवाया जा रहा है। बच्चे भोजन ग्रहण करने से पहले प्रार्थना करते हैं। पंजाबी अध्यापक गुरमेल सिंह ने कहा कि अभी डाइनिंग रूम में उनकी योजना टाइल्स लगवाने व दीवारों पर विटामिन संबंधी चार्ट लगाने की है।


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