खामियों से भरीं सड़कें दे रही हादसों को निमंत्रण, नहीं हो रहा कोई हल
सरकार व प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क हादसों पर रोक नहीं लग पा रही है। प्रमुख वजहों में टूटी सड़कें लोगों की लापरवाही नशा तेज रफ्तार ओवरलोडेड वाहन सड़क के निर्माण में खामियां ट्रैफिक सिगनलों के खराब पड़े होने सड़कों पर गलत पाìकग यातायात नियमों का उल्लंघन आदि हैं।
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : सरकार व प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क हादसों पर रोक नहीं लग पा रही है। प्रमुख वजहों में टूटी सड़कें, लोगों की लापरवाही, नशा, तेज रफ्तार, ओवरलोडेड वाहन, सड़क के निर्माण में खामियां, ट्रैफिक सिगनलों के खराब पड़े होने, सड़कों पर गलत पाìकग, यातायात नियमों का उल्लंघन आदि हैं। प्रशासन हादसों को रोकने के दावे तो लाख करता है परंतु जमीनी हकीकत दावों से कोसों दूर है। हादसे को रोकने के लिए जरूरी है लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करें, मगर नहीं हो रहा है। सो, आए दिन सड़कें जानें निगल रही हैं। पर सोचने वाली बात है कि आखिर हादसे होते क्यों हैं और इसे कैसे रोका जा सके। ताबड़तोड़ हादसे के लिए जितने जिम्मेदार वाहन चालक हैं उससे ज्यादा जिम्मेदार प्रशासन की घटिया कार्यप्रणाली भी है। वाहन चालक सड़क पर चलते समय नियमों के पालन से अनभिज्ञ रहते हैं और प्रशासन नियमों को लागू करने में असफल दिखता है। यही कारण है कि आए दिन सड़कें खून से सनती रहती हैं।
यदि बात होशियारपुर-जालंधर रोड की क जाए तो इस पर जरूरत के हिसाब से न तो सांकेतिक निशान लगाए गए हैं और न ही चौक की ट्रैफिक लाइटें सुचारू रूप से चलती हैं। जालंधर बाईपास पर काफी समय से ट्रैफिक लाइट खराब पड़ी है। इलाज नहीं हो रहा है। आइटीआइ के पास डिवाइडर शुरू हो जाता है, लेकिन विडंबना है कि इस डिवाइडर पर रेडियम लाइट की व्यवस्था ही नहीं है। यदि कहीं पर व्यवस्था है भी वह भी न के बराबर है। यही हालात नलोइयां चौक पर है। कुछ जगह प्रशासन द्वारा रेडियम लगवाया भी गया था लेकिन समय के साथ वह खराब हो गया और हालात पहले जैसे ही हो गए। ऐसे में रात के समय वाहन चालकों को डिवाइडर पहचानने में काफी दिक्कत होती है।
लाजवंती पुल पर कोहनी मोड़ पड़ता है। मगर प्रशासन की तरफ से कहीं नहीं लिखा है कि थोड़ा धीरे चलें आगे कोहनी मोड़ है। लिहाजा वाहन तेज रफ्तार से दौड़ते हैं। तीन माह पहले की बात है कि इसी पुल के पास से सवारियों से भरी बस नीचे जा गिरी थी। एक दर्जन के करीब सवारियां जख्मी हो गई थीं। बावजूद इसके प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। जस्सा सिंह चौक से लेकर सलवाड़ा तक यह नेशनल हाईवे एक किस्म रिग की तरह है। फिर कहीं पर जागरूकता के सांकेतिक निशान नहीं दिखते हैं। कहीं पर यह भी नहीं लिखा गया है कि यहां पर ओवरटेक नहीं किया जा सकता है। क्योंकि मोड़ है। इस स्थिति में वाहन चालक मनमानी से चलते हैं और जरा सी असावधानी होते ही हादसे का शिकार हो जाते हैं। नसराला, चक्क गुजरां, सिगड़ीवाला, पिपलांवाला, आदमवाल रिहायशी इलाके में भी कहीं पर सांकेतिक निशान नहीं दिखते हैं। रही बात स्टेट हाईवे, होशियारपुर-चंडीगढ़ की तो यह टोल प्लाज के अधीन बने हैं। इन सड़कों पर पर ओवरटेक न करने संबंधी कहीं पर सूचना पट नहीं लगे हैं। वाहनों की स्पीड जरूर तय की गई है, मगर पुलिस की उदासीनता से वाहन चालक उसे मानते नहीं है। लिहाजा हादसे होते रहते हैं। क्या कहते हैं ट्रैफिक नियम
ट्रैफिक रूल्स सेक्शन (2) आफ सेक्शन 112 आफ दि मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 (सेंट्रल एक्ट- नंबर 59 आफ 1988) के तहत विभिन्न श्रेणी के वाहन इस तरह से चल सकते हैं। लाइट मोटर व्हीकल की स्पीड
नेशनल हाईवे - 80 किमी. प्रति घंटा।
स्टेट हाईवे:- 70 किमी. प्रति घंटा।
शहरी इलाका:-50 किमी. प्रति घंटा।
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लाइट मोटर व्हीकल ट्रांसपोर्ट की स्पीड नेशनल हाईवे:- 65 किमी. प्रति घंटा।
स्टेट हाईवे:- 50 किमी. प्रति घंटा।
शहरी इलाका:-45 किमी. प्रति घंटा। मोटरसाइकिल व स्कूटर की स्पीड
नेशनल हाईवे:- 60 किमी. प्रति घंटा।
स्टेट हाईवे:-50 किमी. प्रति घंटा।
शहरी इलाका:-35 किमी. प्रति घंटा। मीडियम व हैवी पैंसेजर वाहनों की स्पीड
नेशनल हाईवे:- 65 किमी. प्रति घंटा।
स्टेट हाईवे:-55 किमी. प्रति घंटा।
शहरी इलाका:-40 किमी. प्रति घंटा।
हैवी गुड्स व पैंसेंजर वाहनों की स्पीड
नेशनल हाईवे:- 50 किमी. प्रति घंटा।
स्टेट हाईवे:-40 किमी. प्रति घंटा।
शहरी इलाका:-30 किमी. प्रति घंटा।