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बुक मार्केट खुली, कारोबार नहीं पकड़ रहा रफ्तार

कोरोना को लेकर लगाए क‌र्फ्यू के बाद बुक मार्केट तो खुली लेकिन अभी किताबों का कारोबार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 10:57 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 10:57 PM (IST)
बुक मार्केट खुली, कारोबार नहीं पकड़ रहा रफ्तार
बुक मार्केट खुली, कारोबार नहीं पकड़ रहा रफ्तार

सतीश कुमार, होशियारपुर

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कोरोना को लेकर लगाए क‌र्फ्यू के बाद बुक मार्केट तो खुली, लेकिन अभी किताबों का कारोबार रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है। कोरोना के कारण अधिक मार बुक मार्केट वाले झेल रहे हैं। चाहे ऑनलाइन बच्चों को स्कूल पढ़ा रहे हैं परंतु फिर भी किताबों की डिमांड में खासी कमी आई है और इसके साथ-साथ स्टेशनरी का सामान भी नहीं बिक पा रहा है। दुकानदार इसको लेकर खासे परेशान हैं। होशियारपुर का वकीलां बाजार बुक मार्केट के तौर पर जाना जाता है। साल से शुरू होने पर बाजार में किताबों की खरीद-फरोख्त जोर पकड़ना शुरू कर देती है। राष्ट्रीय बुक मार्ट के मालिक राज कुमार ने बताया कि वर्ष 2019 और इससे पहले सारे वर्ष बुक मार्केट के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो रहे थे क्योंकि सारा वर्ष किताबों की अच्छी सेल निकलती थी। यही कारण है कि छोटा सा छोटा बुक सेलर भी समय-समय पर होल सेल मार्केट से सामान की मांग करता ही रहता था और होलसेलर के साथ छोटे व्यापारी के घर का गुजारा भी अच्छा हो रहा था। किताबों की मार्केट सारा साल अच्छा व्यापार देकर जाती थी। परंतु इस बार तो हमारे काम को कोरोना की नजर लग गई और जब से साल शुरु हुआ है तब से काम ठप है। 2020 चढ़ते ही शुरू हो गया था मंदी का दौर

राष्ट्रीय बुक मार्ट के मालिक राज कुमार ने बताया कि बुक मार्केट को तो 2020 ने चढ़ते ही कोरोना ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। मार्च में इसने पूरी तरह से भारत में पैर पसार लिए थे और यही समय होता है बुक मार्केट में सेल का क्योंकि पुरानी कक्षाओं के नतीजे आने से बच्चे अगली कक्षा में जाते हैं। वह किताबें ही नही कापियां और स्टेशनरी भी नई की मांग करते है। मगर 18 मार्च को देश में लॉकडाउन शुरु हो गया और उसके बाद पंजाब में क‌र्फ्यू लग गया। सारे स्कूल कालेज बंद हो गए किसी भी कक्षा का नतीजा निकला नहीं, तो किताबें कैसे बिकती। स्टेशनरी के सामान की सेल पर पड़ा कम असर

अरोड़ा स्टेशनरी मार्ट के मालिक राहुल अरोड़ा से बात की तो उन्होंने बताया कि उनका होलसेल का काम है और वह किताबों का नहीं बल्कि स्टेशनरी का काम करते है तो उनके काम को कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। उनकी स्टेशनरी का सामान गांवों में भी जाता है और कार्यालयों मे भी जाता है। थोड़ा असर तो पड़ा मगर यह नहीं कह सकते कि बिल्कुल ही काम ठप्प हो गया है। अभिभावक भी खासे परेशान

अभी तो स्कूल बंद चल रहे है और स्कूल खुलने की भी कोई संभावना नही है। ऐसा लग रहा है कि छोटे बच्चों के स्कूल तो खुलेंगे ही नही अगर खुल भी गए तो पेरेंट्स खुद सोच रहे है कि बच्चों को स्कूल भेजे कि न भेजे क्योंकि अभी कोरोना का कहर खत्म नही हुआ है और लगातार बढ़ रहा है ऐसे में कोई भी मां-बाप जोखिम उठाने को तैयार नहीं होगा।


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