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निगम चुनाव की आहट, वार्डबंदी पर भाजपा व कांग्रेस में शब्दबाण शुरू

होशियारपुर नगर निगम की चुनाव की आहट के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में वार्डबंदी का पेंच फंस गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 10:21 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:07 AM (IST)
निगम चुनाव की आहट, वार्डबंदी पर भाजपा व कांग्रेस में शब्दबाण शुरू
निगम चुनाव की आहट, वार्डबंदी पर भाजपा व कांग्रेस में शब्दबाण शुरू

हजारी लाल, होशियारपुर: नगर निगम की चुनाव की आहट के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में वार्डबंदी का पेंच फंस गया है। कांग्रेस को घेरते हुए भाजपा ने कहा कि बौखलाहट में आकर कांग्रेस वार्डबंदी का हथकंडा अपना रही है। जवाब में कांग्रेस ने ताल ठोंकी है कि नगर निगम के चुनावी मैदान में मालूम पड़ेगा कि किस में कितना दम है। कुल मिलाकर वार्डबंदी को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हो गई है। भाजपा के पूर्व मंत्री तीक्ष्ण सूद ने चेतावनी दी है कि अगर वार्डबंदी से छेड़छाड़ हुई तो वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने पार्टी के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर इस बारे में अगली रणनीति भी तैयार की। दूसरी तरफ कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा कि भाजपा के पास झूठी सियासत करने के अलावा कुछ नहीं है।

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भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद ने कहा कि आगामी नगर निगम चुनावों में अपनी हार को देखते हुए कांग्रेस सरकार अपने आकाओं को जरिए अवैध तरीके से वार्डबंदी करवाने जा रही है। निगम चुनाव में कांग्रेस के लोग हार के डर से तिनके का सहारा वार्डबंदी को बना रहे हैं। पंजाब में नगर निगमों व नगर परिषदों का कार्यकाल मार्च महीने में खत्म हो चुका है, परंतु हालात खराब होने के चलते कांग्रेस पार्टी किसी न किसी बहाने स्थानीय निकाय चुनावों को टाल रही है। संविधान की धाराओं के अनुसार छह महीने यानी सितंबर 2020 तक हर हालत में चुनाव संपन्न हो जाने चाहिए, लेकिन सरकार ने चुनाव टालने के लिए जानबूझकर अवैध ढंग से नई वार्डबंदी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

वार्डों के साथ छोड़छाड़ होने पर खटखटाएंगे अदालत का दरवाजा तीक्ष्ण सूद भाजपा नेता तीक्ष्ण सूद ने कहा कि पिछले दिनों स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक द्वारा जारी पत्र में नंबर 24 जुलाई 2020 को 1654 के आदेश को लागू करने के लिए नगर निगम होशियारपुर ने स्पेशल टीमें लगाकर जनसंख्या गणना शुरू कर दी। ऐसे में नगर निवासी कयास लगा रहे हैं कि कांग्रेस उम्मीदवार नई वार्डबंदी करवा कर चुनाव लड़ना चाहते हैं , ताकि डूबते हुए वार्डबंदी के तिनके का सहारा मिल सके। स्थानीय निकाय चुनावों के अनुसार वार्डबंदी केवल स्थानीय निकाय का क्षेत्र बढ़ने या आबादी का अधिकृत रूप के बढ़ने से ही हो सकती है। पिछली जनगणना 2011 को हुई थी और अगली 2021 को होगी इसके अंतर्गत कोई भी जनगणना नहीं हो सकती। राष्ट्रीय जनगणना विभाग ने राज्य सरकारों को पत्र लिखकर 2019 में मौजूद वार्डों ब्लॉक व गांवों की हदबंदी मार्च 2021 तक के लिए है। ऐसे हालातों में स्थानीय विभाग द्वारा अदल बदल करना कानूनी तौर पर अवैध होगा। नगर निगम को खुद ही जनगणना करके वार्डों की सीमाओं से छेड़छाड़ व तोड़कर सामान्य व आरक्षित बनाने की कानूनी मान्यता है और न ही ऐसे होना दिया जाएगा। इसके लिए अगर हाइकोर्ट में भी जाना पड़ा, तो भी हम हाइकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ चुनौती देंगे। भाजपा को सता रहा है यह डर उधर भाजपा को यह डर सता रहा है कि कांग्रेस नेता अपने चुनावी फायदे के लिए वार्डों के साथ छेड़छाड़ करेंगे। मसलन कि वह एससी वार्ड को जनरल कर सकते हैं और पुरुष वार्ड को महिला वार्ड कर सकते हैं। महिला को पुरुष वार्ड कर सकते हैं। जनरल वार्ड को एससी वार्ड कर सकते हैं। साथ ही उनको यह भी चिता सता रही है कि भाजपा के कदावर नेताओं पूर्व शिव सूद, भाजपा के जिला प्रधान निपुण शर्मा, कविता परमार, सुरेश भाटिया बिट्टू, अशोक कुमार शोकी, मीनू सेठी, तीक्ष्ण सूद की पत्नी राकेश सूद, संजीव तलवाड़ की पत्नी नीति तलवाड़ के वार्ड के साथ छेड़छाड़ करके चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।

फोटो-18 में है।

वार्डबंदी सिस्टम की एक प्रक्रिया, इससे क्यों घबरा रहे हैं भाजपाई अरोड़ा कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने कहा कि वार्डबंदी करवाना सिस्टम का एक हिस्सा होता है। वोट तो शहर की ही रहेंगी। फिर भाजपा को इससे क्यों डर लग रहा है। दरअसल भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि आए दिन नए विकास कार्यों को देखकर भाजपा परेशान हो उठी है। पांच साल में दस हजार वोटें बढ़ी हैं। ऐसे में वार्ड के समीकरण भी बदलें हैं। अगर फिर कोई ऐतराज है, तो उसे विभाग के समक्ष रखेंगे। जहां तक हार जीत की बात है, तो भाजपाई निगम चुनाव के मैदान में आएं। फिर उन्हें पता चल जाएगा कि किस में कितना दम है। उन्होंने यह भी दावा कि निगम चुनाव टाले नहीं जा रहे हैं। जल्द ही निगम के चुनाव संपन्न होंगे। भाजपाई ओछी राजनीति करने की बजाय चुनाव की तैयारी करें।


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