गेहूं के अवशेष को आग लगाने के कारण जंगलात विभाग के बांस जले
एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से बचने के लिए संघर्ष कर रही है और लोग आक्सीजन स्तर कम होने के कारण मौत का ग्रास बन रहे हैं। वहीं सरकारें व सामाजिक संस्थाएं लोगों को आक्सीजन देने वाले पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
रामपाल भारद्वाज, माहिलपुर
एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से बचने के लिए संघर्ष कर रही है और लोग आक्सीजन स्तर कम होने के कारण मौत का ग्रास बन रहे हैं। वहीं सरकारें व सामाजिक संस्थाएं लोगों को आक्सीजन देने वाले पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। सरकारें किसानों को अपील कर रही है कि वह खेतों की उपज के वेस्टेज को आग न लगाएं। इसके अलावा अवशेष को खेत की मिट्टी में मिलाने की जानकारी देने के लिए चलाए अभियानों पर करोड़ों खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन, अभियान का जमीनी स्तर पर कम ही असर हो रहा है। इकिसानों की ओर से फसल की वेस्टेज को लगाई आग से जहां सड़क किनारे लगे पेड़ों को नुकसान पहुंच रहा है, वहीं खेतों की उर्वरक क्षमता को भी नुकसान हो रहा है। कोटफतूही से मेहटियाना बिस्त दोआब नहर के किनारे लगाए बांस हर वर्ष खेतों में लगाई आग के कारण जल जाते है। ऐसे ही मामले कोरोना काल में देखने को मिल रहे हैं। ईसपुर पंचनगल गांव के दरमियान खेतों में लगाई आग से बांस के पेड़ जल गए। इनकी संभाल करने के लिए हजारों रुपये वेतन लेकर काम करने वाले जंगलात विभाग के कर्मचारी व अधिकारी अनजान हैं। भाजपा नेता संजीव कुमार पंचनगल ने कहा कि सरकार को इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए और अगर इन बांसों को बेचकर विभाग को आमदनी होती है तो इसकी नीलामी कर देनी चाहिए। इस संबंध में वनगार्ड ने कहा कि बांसों को काटने के लिए कारपोरेशन को जिम्मेदारी सौंपी थी।
करेंगे कार्रवाई : कार्यकारी वनरेंज अधिकारी
इस संबंध में वनरेंज अधिकारी संजीव कुमार जोकि माहिलपुर रेंज के अतिरिक्त प्रभार देख रहे हैं से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आग लगाने वाले लोगों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।