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पराली को खेतों में मिलाएं, धरती को प्रदूषण से बचाएं

तकनीक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस संबंधी जानकारी देते हुए केवीके बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ मनिदर ¨सह बोंस ने बताया कि सकरूली गांव को केवीके बाहोवाल द्वारा पराली प्रबंधन के लिए अडॉप्ट किया हुआ है जिसके तहत किसान सिखलाई कैम्प, जागरूकता और प्रदर्शनियो द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 11:37 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:37 PM (IST)
पराली को खेतों में मिलाएं, धरती को प्रदूषण से बचाएं
पराली को खेतों में मिलाएं, धरती को प्रदूषण से बचाएं

संवाद सहयोगी, माहिलपुर : पिछले कुछ समय से किसानों द्वारा धान की पराली को आग लगाने के कारण यहां यह समस्या गंभीर होकर सामने आई है जिसके कारण इसके धुंए से वायु में जहरीली गैसों से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है जिससे लोगों को अस्थमा और एलर्जी जैसी खतरनाक बीमारियों लग रही हैं। वहीं जमीन की उपजाऊ क्षमता को भी नुकसान पहुंचा है। इसलिए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना और खेतीबाड़ी भलाई विभाग पंजाब पराली प्रबंधन संबंधी विभिन्न तकनीकी योजनाएं चला रहे हैं। इसी मुहिम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल और खेतीबाड़ी भलाई विभाग होशियारपुर खेतों में पराली प्रबंधन के लिए गांवो में प्रदर्शनियां लगाकर किसानों को जागरूक कर रहे हैं।

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इस मुहिम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र होशियारपुर के अधिकारियों द्वारा माहिलपुर ब्लाक के गांव सकरूली के किसानों के खेतों में तकनीक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस संबंधी जानकारी देते हुए केवीके बाहोवाल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ मनिदर ¨सह बोंस ने बताया कि सकरूली गांव को केवीके बाहोवाल द्वारा पराली प्रबंधन के लिए अडॉप्ट किया हुआ है जिसके तहत किसान सिखलाई कैंप, जागरुकता और प्रदर्शनियों द्वारा विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि गांव के किसानों बलकार ¨सह, सरपंच जस¨वदर ¨सह, गुरमीत ¨सह, गुरदीप ¨सह ने पराली का खेत मे ही प्रबंध कर गेहूं की सफलता पूर्वक बोआई की है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा गांव में हैपी सीडर और चोपर तकनीक की प्रदर्शनी लगाई ताकि किसान इसकी कार्यप्रणाली को समझ सकें। केंद्र के खेती इंजीनियर अजायब ¨सह ने बताया कि हैप्पी सीडर मशीन से पराली को बिना आग लगाए गेहूं की सीधी बिजाई सफलतापूर्वक की जाती है। इससे यहां किसानों को कम डीजल खपत होगी वही फसल में खरपतवार की समस्या बी कम होती है और खेत की उपजाऊ क्षमता में बढ़ोतरी होती है।


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