जैविक विधि से फसलों के अवशेषों को गलाने की विधि बताई
मुकेरियां के अंतर्गत पड़ते गांव तंगरलिया में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली की तरफ से किसान जागरूकता कैंप लगाया गया।
संवाद सहयोगी, मुकेरियां : मुकेरियां के अंतर्गत पड़ते गांव तंगरलिया में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली की तरफ से किसान जागरूकता कैंप लगाया गया। इस दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली से डॉ. लवलीन शुक्ला, डॉ. राजेश सैनी विशेष रूप से शामिल हुए।
इस दौरान डॉ. लवलीन शुक्ला ने किसानों को बताया कि जैविक विधि से तैयार किए गए डीकंपोजर कैप्सूलों की स्प्रे फसलों के अवशेषों पर करने से वह पूरी तरह से गल जाते हैं, जिससे हमारी भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए 150 ग्राम गुड़ लेकर पांच लीटर पानी में मिलाकर इस मिश्रण को अच्छी तरह उबालें, उसके बाद उसके ऊपर से सारी गंदगी को हटा दें। इस मिश्रण को चकोर बर्तन में ठंडा होने के लिए रख दें, जब यह हल्का गुनगुना हो जाए तो इसमें 50 ग्राम बेसन मिलाने के बाद इसमें चार कैप्सूल को तोड़ कर डाल दें। दस दिनों में आपका कल्चर तैयार हो जाएगा। इस मिश्रण का अवशेषों में स्प्रे कर किसी भी मशीनरी से खेत की बहाई कर दें। कुछ ही दिनों में कृषि अवशेष जैविक खाद में तबदील हो जाएगा। कंवलदीप सिंह व इंजीनियर विजय सिंह ने बताया कि फसलों के अवशेषों को जलाने से हमारी भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इसलिए किसानों को इस विधि को अपनाना चाहिए जो सभी के लिए लाभदायक है। इस अवसर पर एडीओ कंवलदीप सिंह, इंजी. विजय सिंह, एईओ सतीश कुमार, सुरजीत सिंह, राजेश सैनी, राकेश कुमार, जोगिदर सिंह, बलविंद्र सिंह, राम दयाल, मोहन सिंह, ज्ञान सिंह, दविंद्र सिंह राजिदर सिंह आदि मौजूद थे।