न चारा और न ही दवा, दो लोगों पर 350 पशुओं की जिम्मेदारी, फलाही कैटल पौंड में मर रहे पशु
होशियारपुर के गांव फलाही में कैटल पौंड में पशुओं के लिए चारा नहीं है।
संवाद सहयोगी, होशियारपुर : होशियारपुर के गांव फलाही में कैटल पौंड में पशुओं के लिए चारा नहीं है। पिछले पांच दिनों में भूख से दो पशुओं की मौत हो चुकी है और चार की हालत गंभीर है। और तो और जो पशु बीमार हैं उनके उपचार का भी कोई प्रबंध नहीं है। यह नहीं की पशुओं की देखभाल के लिए डॉक्टर नहीं है, लेकिन डॉक्टर की मौजूदगी भी तब ही भली लगेगी, जब डॉक्टर के पास उपचार के लिए पूरी दवा हो। फलाही कैटल पौंड में लगभग 350 पशु हैं। चाहे कैटल पौंड का रकबा काफी है परंतु इतने लंबे चौड़े रकबे प्रबंधन की काफी कमियां हैं। जो बिना प्रशासन के हस्तक्षेप से समाप्त नहीं हो सकती।
अव्यवस्था की ताजा मिसाल इससे लगाई जा सकती है कि पिछले 5 दिन से पशुओं के लिए चारा भी नहीं मिला और पशु सूखी तूड़ी खाने को मजबूर हैं। जानकारों की मानें तो सूखी तूड़ी खाने के बाद पशुओं को प्यास लगती है तो बेहिसाब पानी पीने के कारण पेट के रोग से ग्रस्त हो जाते हैं जो सीधे तौर पर पशुओं के लिए बड़ा संकट होता है। वहीं कुछ दिनों से पशुओं के लिए पौंड में प्रशासन द्वारा कोई भी दवा उपलब्ध नहीं हो पाई है। जिसके कारण बीमार होने वाले पशु भगवान भरोसे ही हैं। पानी का भी कोई खास प्रबंध नहीं है। पिछले पांच दिन से कैटल पाउंड में चारा न उपलब्ध हो पाने से साफ होता है कि प्रशासन अपने काम व दावों के प्रति कितना गंभीर है। खुले में फेंके जाते हैं पॉलीथिन, खाने से पशु हो रहे बीमार
पशुओं के मरने का दूसरा सबसे बड़ा कारण प्लास्टिक निगल जाना है। जिसके कारण पशुओं की आंतड़ियां पूरी तरह ब्लॉक हो जाती हैं और कैटल पौंड में ज्यादा समय पशुओं को सुखा चारा ही मिलता है जिसके कारण पेट के अंदर सारा कुछ जाम होने के कारण अफारे की बीमारी के कारण पशुओं की मौत हो जाती है। पशुओं की इस हालत के लिए कहीं न कहीं आम जन व नगर निगम भी जिम्मेदार है क्योंकि लोग खुले में पॉलीथिन फेंक देते हैं और नगर निगम कहीं न कहीं पूरी तरह पॉलीथिन बंद करने में फेल रही है, चाहे कार्रवाई होती है परंतु वह आटे में नमक के बराबर। कुछ पशुओं की मौत के बाद जब उनका पोस्टमार्टम किया गया तो उनके पेट से भारी मात्रा में पॉलीथिन पाया गया है।
कैटल पौंड की बनावट में हैं कई कमियां
कैटल पौंड में मौके पर मौजूद अशोक सैनी ने बताया कि तीसरा बड़ा कारण है कि कैटल पौंड पूरी तरह कंप्लीट ही नहीं किया गया है। एक जमीन के चारों तरफ बाढ़ लगने से कैटल पौंड नहीं बन जाता। पौंड में पशुओं की सुविधा के लिए सारी व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन फलाही के कैटल पौंड में कई कमियां हैं, सबसे बड़ी कमी कैटल पौंड में नर, मादा व बछड़ों को अलग रखने के लिए कोई पार्टीशन ही नहीं किया गया, जिसके कारण जब सांड आपस में भिड़ते हैं तो कई बार बच्चे भी इनकी लड़ाई की भेंट चढ़ जाते हैं। कई बार तो गभर्वती गायें भी इनका शिकार बन चुकी हैं।
कैटल पौंड दानी सज्जनों पर निर्भर
वैसे पशुओं को चारे की कभी कमीं न आए इसके लिए कैटल पाउंड में पहले योजना बनाई गई थी पाउंड के साथ लगते 10 एकड़ के लंबे चौड़े रकबे में चारा उगाया जाए ताकि पशुओं को कभी चारे की कमी न हो परंतु अफसोस यह योजना भी धरी की धरी रह गई। अभी तक न तो जमीन का लेबल हुआ है और न ही कभी वहां पर चारा उगाया गया है। पौंड में ही इतनी जगह है कि वहां से सारे साल का चारा तैयार किया जा सकता है। यदि वह मशीनरी लगाकर लेवल में कर दी जाए तो बढि़या ढंग से चारा उगाया जा सकता है और पशुओं को सूखा चारा नहीं खाना पड़ेगा। उबड़-खाबड़ जमीन के साथ साथ पानी का भी कोई खास प्रबंध नहीं है। ट्यूबवेल तो है पर साधन पूरे नहीं है जिसके कारण जमीन होते हुए भी कैटल पौंड दानी सज्जनों पर निर्भर है। मुलाजिमों को नहीं मिलता वेतन, दो लोग ही कर रहे देखभाल
कैटल पौंड के रख-रखाव के लिए बकायदा मुलाजिम रखे गए थे। शिफ्टों के हिसाब से ड्यूटी तय की गई थी, परंतु समय पर वेतन न मिलने के कारण तीन मुलाजिम काम छोड़ कर जा चुके हैं। अब वह दो ही मुलाजिम कैटल पौंड की देखभाल के लिए हैं। पहले तीन मुलाजिम और थे लेकिन पिछले तीन माह से वेतन न आने के कारण वह नौकरी छोड़ चुके हैं। और बाकी दो मुलाजिम भी परेशान है। चूंकि 350 पशुओं की देखभाल दो लोगों द्वारा करना मुश्किल है।
अभी नहीं हुआ एग्रीमेंट, एग्रीमेंट होते ही जल्द होगा सुधार: मरवाहा
गोशाला की रखरखाव के लिए इंप्रूपमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन व एडवोकेट राकेश मरवाहा को प्रबंधन दिया गया था। मरवाहा का कहना है कि अभी एग्रीमेंट नहीं हुआ। गोशाला सेवा परमोधर्म संस्था को सौंपी गई है। सफाई करवाई गई थी। प्लांटेशन हुई है, यहां पर एक्सीडेंटल पशु लाए जाते हैं। काम शुरू किया जा रहा है जो जल्द ही मुकम्मल कर दिया जाएगा। समय लगेगा लेकिन सुधार जरूर होगा। जांच करवाई जाएगी: डीसी
डीसी ईशा कालिया ने कहा कि ऐसी कोई बात ही नहीं है। आज सुबह संस्था के साथ मीटिग हुई थी। कोई ऐसा मुद्दा नहीं है, लेकिन यदि कोई ऐसी बात है तो वह खुद इसकी जांच करवाएंगी। कोई समस्या आई तो उस समस्या का हल किया जाएगा।
दो-तीन लोग कर रहे पशुओं की देखभाल, हालात तो ऐसे ही बनेंगे: डॉ. राम लुभाया
डॉ. राम लुभाया का कहना है कि 350 पशुओं की देखभाल के लिए उस प्रबंध भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पशु चारे की कमी से नहीं बल्कि प्रबंधन की कमी से मर रहे हैं। 350 पशुओं की देखभाल के लिए मात्र दो-तीन लोगों से काम नहीं चलता। उन्होंने कहा कि उनकी तीन घंटे ड्यूटी वहां पर है और उनके पास मात्र एक ही हेल्पर है। जब तक मैन पावर पूरी नहीं होती, तब-तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे।