अक्षय तृतीया आज, बिना मुहूर्त कर सकते हैं शुभ कार्य
जिसका कभी क्षय न हो उसे अक्षय कहते हैं। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। शिव मंदिर फतेहपुर में प्रवचन करते हुए तपोमूर्ति स्वामी महेश पुरी ने कहा कि मुहूर्त शास्त्र में यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : जिसका कभी क्षय न हो उसे अक्षय कहते हैं। वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। शिव मंदिर फतेहपुर में प्रवचन करते हुए तपोमूर्ति स्वामी महेश पुरी ने कहा कि मुहूर्त शास्त्र में यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है। इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म होने के कारण इसे परशुराम तीज भी कहा जाता है। गणेश जी ने भगवान व्यास के साथ महाभारत लिखनी शुरू की। गंगा-स्नान व भगवान श्री कृष्ण को चंदन लगाने का विशेष महत्व है। महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए विशेष अनुष्ठान करने का विधान है। अक्षय तृतीया अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फल प्रदान करने वाला दिन है। इसे स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है अर्थात बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। जिसे कोई मुहूर्त नहीं मिल रहा है उसे शुभ कार्य कर लेने चाहिए। सोने का आभूषण खरीदने के लिए इस दिन को सबसे पवित्र माना जाता है। इस बार की अक्षय तृतीया शुक्रवार को है। इस दिन भूमि पूजन, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण या कोई नया व्यापार प्रारंभ करना चाहिए। अक्षय तृतीया में पूजा, जप-तप, दान स्नाना आदि शुभ कार्यो का विशेष फल रहता है। यज्ञ, देव-पितृ तर्पण, जप, दान आदि कर्म करने से फल की प्राप्ति होती है। पुराणों में भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही सत्युग एवं त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण व हयग्रीव आदि तीन अवतार अक्षय तृतीया को ही पृथ्वी पर आए। प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनारायण के कपाट भी अक्षय तृतीया को खुलते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी के चरण दर्शन केवल इसी दिन को ही होते हैं। भगवान श्री कृष्ण इसके महत्व के संबंध में बताते हुए युधिष्ठर से कहते है कि हे राजन, इस तिथि पर किए गए दान व हवन का कभी क्षय नहीं होता।