ड्रैगन डोर तोड़ न दे जिंदगी की डोर
मौत की डोर बनती जा रही ड्रैगन डोर पर प्रशासन का भी जोर नहीं चलता। पिछले कुछ वषरें के दौरान चाइनीज डोर मानवीय जीवन के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी खतरा बनी हुई है।
फोटो नंबर-01, 02
नो मोर, ड्रैगन डोर
पाबंदी के बावजूद शहर में चोरी छिपे बिक रही चाइना डोर
शहर का कोई ऐसा बाजार नहीं जहा न बिकती हो चाइना डोर
ग्रामीण इलाकों में भी सप्लाई की जा रही चाइना डोर
400 से लेकर 750 रुपये तक में बेची जा रही चाइना डोर जागरण संवाददाता, होशियारपुर: मौत की डोर बनती जा रही ड्रैगन डोर पर प्रशासन का भी जोर नहीं चलता। पिछले कुछ वषरें के दौरान चाइनीज डोर मानवीय जीवन के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी खतरा बनी हुई है। हर वर्ष सैकड़ों लोग इसकी चपेट में आकर जख्मी हो रहे हैं और कई लोग जान से हाथ धो बैठे हैं। मौत की डोर इस चाइना डोर पर लगाम कौन लगाए, यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
चाइना डोर के घातक परिणामों को देखते हुए इस पर प्रशासन ने काफी पहले पाबंदी लगा दी थी, लेकिन यह पाबंदी प्रशासन के कठोर दावों के सामने फीकी पड़ गई है। शहर में धड़ल्ले से चाइना डोर बेची जा रही है। दुकानदारों ने भारी मात्रा में चाइना डोर को स्टोर करके रखा हुआ है। शहर के दुकानदार ड्रैगन डोर को ग्रामीण इलाकों में सप्लाई भी रहे हैं। इस पर नकेल कसने में प्रशासन फेल साबित हो रहा है। चाइना डोर पर पाबंदी की प्रशासन चाहे कितनी भी गंभीरता दिखा ले, लेकिन दुकानदार किसी न किसी तरीके से डोर बेचने की जुगत भिड़ा लेते हैं। दुकादारों ने बकायदा इस डोर के नाम भी कोड वर्ड में रखे हैं। इन्हीं नामों से चाइना डोर शहर में बिक रही है। यह डोर इतनी घातक है कि इसमें करंट तक पास हो जाता है। मुनाफे के चक्कर में जिंदगी से खिलवाड़
चंद मुनाफे के लिए दुकानदार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। यह डोर लोगों और पशु-पक्षियों के लिए घातक है। अभी तक प्रशासन ने चाइना डोर को स्टोर करने वाले दुकानदारों की चेकिंग शुरू नहीं की है, चेकिंग न होने से दुकानदार बखौफ चाइना डोर बेच रहे हैं। बाजार में 400 रुपये से लेकर 750 रुपये तक में चाइना डोर बेची जा रही है। शहर में इन स्थानों पर बिक रही चाइना डोर
शहर में शायद ही कोई ऐसी दुकान हो जहा चाइना डोर न बिक रही हो। होशियारपुर के प्रताप चौक, वकीला बाजार, गोरागेट, कच्चा टोबा, कमालपुर, बहादुरपुर, कमेटी बाजार, घइया मोहल्ला, बस्सी ख्बाजू में धड़ल्ले से चाइना डोर बेची जा रही है।
चेकिंग के डर से घरों में स्टोर कर रखी चाइना डोर
दुकान की चेकिंग न हो जाए इसलिए कुछ दुकानदारों ने तो चाइना डोर घरों में स्टोर कर रखी है। दुकानों में कुछ युवकों की ड्यूटी लगा दी जाती है कि जितनी डिमाड होगी, उस हिसाब से डोर मुहैया करवा देंगे। कुछ दुकानदार तो स्कूटी की डिग्गियों में डोर के गट्टू रखते हैं। स्कूटी की डिग्गी में किसी का शक भी नहीं पड़ सकता। रेट तय होने पर दुकानदार के इशारे पर ड्रैगन डोर बेच दी जाती है। इन कोड वर्ड में बिक रही ड्रैगन डोर
किसी को शक न हो इसके लिए दुकानदारों ने इस डोर को बेचने के लिए कोड वर्ड रखे हैं। यहा तक कि कुछ दुकानदारों ने एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए चाइना डोर का नाम ही चाइना के बाजार में प्रचलित फास्टफूट रख लिया है। कोर्ड वर्ड में चाइना डोर के और भी नाम रखे गए हैं जैसे कि गट्टू, पिटू, बिदिया व लहरी। कुछ दुकानदारों ने तो इसका नाम बक्सा रखा है यानी चार बक्से की डिमाड है तो मतलब कि चार गट्टू डोर। हर दुकानदार का अलग कोड वर्ड है।
प्रशासन ने दुकानों में शुरू नहीं की चेकिंग
इससे बड़ी उदासीनता की बात क्या होगी कि शहर में धड़ल्ले से चाइना डोर बिक रही है और प्रशासन ने अभी तक एक भी दुकान में चेकिंग नहीं की है। पिछले साल हुई चेकिंग के दौरान बहादरपुर में बड़ी मात्रा में चाइना डोर बरामद हुई थी। इस बार प्रशासन न उदासीन रवैया बनाया हुआ है।
लगाम लगाने में प्रशासन फेल क्यों
-सामान्य डोर के मुकाबले कम रेट में मिल जाती है ड्रैगन डोर।
-सामान्य डोर में मुकाबले मजबूत होती है चाइना डोर।
-लोगों में जागरूकता की कमी, बच्चों को नहीं रोकते।
-चंद रुपयों के लिए मनमानी करते दुकानदार, चोरी छिपे बेच रहे।
-दुष्प्रभावों की जानकारी देने के लिए सेमिनार नहीं लगाता प्रशासन डोर में से करंट तक हो जाता है पास
यह डोर इतनी घातक है कि इसमें से करंट भी पास हो जाता है। अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों को इसके खिलाफ जागरूक किया जाए, ताकि उनका बच्चा किसी हादसे का शिकार न हो सके। शहर में पहले भी इससे कई हादसे हो चुके हैं।