श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है दातारपुर का नागदेवता मंदिर
इलाके में स्थित गुरु गोरखनाथ की तपस्थली नाग देवता वृंदावन मंदिर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : इलाके में स्थित गुरु गोरखनाथ की तपस्थली नाग देवता वृंदावन मंदिर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह दातारपुर से चार किलोमीटर, दसूहा से 20 किलोमीटर व हाजीपुर से 17 किलोमीटर दूर घने जंगल में है। वैसे तो सारा साल मंदिर में श्रद्धालु आते हैं लेकिन सावन माह में खास तौर पर नाग पंचमी को मेला लगता है। मेले के दिन इलाके के हजारों श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। मंदिर का इतिहास
स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर 400 साल से भी पुराना है। इस जगह गुरु गोरखनाथ ने धूनी रमाई थी। इसके बाद सतगुरु बाबा लाल दयाल के परम शिष्य संत तपादास ने घोर तप किया और मंदिर का निर्माण करवाया। नाग देवता मंदिर 75 डिग्री कोण पर झुका हुआ है। इसके विषय में कहा जाता है कि यह नाग देवता की फुंकार से टेढ़ा हो गया था। मंदिर के साथ ही लगभग 30 फुट गहरा प्राचीन तालाब है, जो पक्की सीढि़यों से निर्मित है। इसकी विशेषता यह है कि बरसात के बावजूद इसमें एक बूंद भी पानी नहीं ठहरता। तालाब तत्कालीन दातारपुर रियासत के राजा दातार चंद ने बनवाया था। मान्यता है कि इसमें पड़ोस के गांव का एक बच्चा डूब गया था, तभी तपादास के श्राप से इसमें पानी जमा होना बंद हो गया। वहीं मंदिर में एक विशाल बांबी है, जिसमें से नागदेवता बाहर आकर भक्तों को दर्शन देते रहते हैं। नागपंचमी पर माथा टेकने से सारे कष्ट होते हैं दूर
मंदिर में सावन माह पर उत्सव जैसा माहौल है। श्रद्धालु मंदिर में आकर नतमस्तक होते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से नागपंचमी के दिन यहां आकर माथा टेकने से सारे कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा शिवरात्रि के दौरान मेले की तरह भक्ति का संचार होता है।